बजट स्पेशल: आजादी से अब तक ऐसे बदलता गया टैक्स स्लैब, इतनी बार हुआ बदलाव

बजट स्पेशल: आजादी से अब तक ऐसे बदलता गया टैक्स स्लैब, इतनी बार हुआ बदलाव

2024 के लोकसभा चुनावों में अब कुछ महीने ही बचे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की सरकार का ये आखिरी बजट होगा, जो अंतरिम बजट होगा. इसलिए इस बार टैक्स नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. फिर भी आपने कभी सोचा कि आखिर इनकम टैक्स आखिर आया कहां से और अब तक देश के टैक्स सिस्टम में क्या-क्या बदलाव हुआ है, जैसा कि पिछले साल वाले बजट में हुआ था, जब नए टैक्स सिस्टम को डिफॉल्ट बना दिया गया था;

इस बार का बजट 1 फरवरी को पेश हो और आप तब इसकी बारीकियां समझें. उसके बाद चुनाव में व्यस्त हो जाएं. तब तक हम आपको बताते हैं कि आखिर आजादी के बाद देश के टैक्स सिस्टम में अब तक क्या-क्या बदल चुका है. आजादी के बाद से भारत में अब तक 91 बजट पेश हो चुके हैं और इनमें से 14 अंतरिम बजट रहे हैं. इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला अंतरिम बजट पेश करेंगी और ऐसा करने वाली वह पहली महिला वित्त मंत्री भी होंगी.

आखिर कैसे बदलता गया देश में टैक्स सिस्टम?
भारत ने 1947 में आजादी मिलने के करीब 2.5 साल बाद 26 नवंबर 1949 को अपने संविधान को अंगीकार किया, इसे लागू 26 जनवरी 1950 से किया गया. इसी के बाद भारत एक संप्रभु गणतंत्र बना और उसने अपना खुद का बजट, टैक्स सिस्टम बनाना शुरू किया. इसमें समय के साथ ऐसे बदलाव होते गए…

स्वतंत्र भारत में पहला टैक्स स्लैब चेंज 1949-50 के दशक में हुआ. तब 10,000 रुपए की इनकम पर टैक्स घटाकर एक ‘आना’ का चौथाई कर दिया गया. उस दौर में एक रुपए को 16 ‘आना’ में डिवाइड किया जाता था. इसी से ‘सोलह आना सच’ वाली कहावत का जन्म हुआ, क्योंकि तब 1 रुपए का सिक्का असली चांदी का होता था.

इसके बाद इनकम टैक्स में बड़ा बदलाव 1974-75 के दौर में देखा गया. तब इनकम के सभी लेवल पर टैक्स कम किया गया. ₹6000 तक की इनकम टैक्स-फ्री हो गई. हर कैटेगरी की इनकम पर सरचार्ज की लिमिट को घटाकर एक समान 10% कर दिया गया. ₹70000 या उससे अधिक इनकम पर मार्जिनल टैक्स 70 प्रतिशत बना रहा. जबकि सबसे अधिक मार्जिनल टैक्स रेट 75% पर ले आया गया. इन बदलाव से पहले देश में मार्जिनल टैक्स की उच्चतम दर 97.75 प्रतिशत थी. हालांकि इस साल संपत्ति कर की दर को बढ़ा दिया गया.

फिर दौर आया 1985-86 का और देश के तत्कालीन वित्त मंत्री वी. पी. सिंह ने इनकम टैक्स की 8 स्लैब को घटाकर 4 कर दिया. तब देश में इनकम टैक्स की मैक्सिमम लिमिट को 61.87% से घटाकर 50% पर लाया गया. जबकि ₹18000 तक की इनकम टैक्स-फ्री कर दी गई. इसके बाद 18,001 रुपए से लेकर 25,000 रुपए की इनकम पर टैक्स 25% किया गया. वहीं 25,001 से 50,000 तक 30%, 50,001 से 1 लाख तक 40% और 1 लाख से अधिक की इनकम पर 50% का टैक्स देना होता था.

मनमोहन सिंह ने बनाया आज का टैक्स सिस्टम
आज हम और आप जिसे ओल्ड टैक्स रिजीम के तौर पर जानते हैं. इस इनकम टैक्स सिस्टम को 1992-93 के दौर में तब के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बनाया था. इनकम टैक्स की स्लैब को 4 से घटाकर 3 किया गया. 30,000 रुपए तक की इनकम टैक्स-फ्री रखी गई. 50,000 तक की इनकम पर 20% टैक्स, 50,000 से 1 लाख की लिमिट पर 30% और 1 लाख से अधिक की इनकम पर 40% टैक्स लगाया गया.

इसके 2 साल बाद 1994-95 में मनमोहन सिंह ने टैक्स रेट तो नहीं बदले, हालांकि टैक्स स्लैब में मामूली बदलाव किए. जैसे 35,000 रुपए तक की इनकम टैक्स-फ्री रही. 35 से 60 हजार पर टैक्स 20 प्रतिशत हो गया. दूसरी स्लैब की लिमिट बढ़कर 1.20 लाख रुपए हो गई. जबकि 1.20 लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 40% टैक्स लगने लगा.

पी. चिदंबरम लेकर आए ‘ड्रीम बजट’
वित्त वर्ष 1997-98 में पी. चिदंबरम फाइनेंस मिनिस्टर बने. उन्होंने तब ‘ड्रीम बजट’ पेश किय. उन्होंने सिंपल 10, 20 और 30% के टैक्स रेट पेश किए. 40,000 रुपए तक की इनकम टैक्स-फ्री, 60, 000 रुपए तक 10%, 1.5 लाख रुपए तक 20% और उससे अधिक पर 30% का टैक्स सिस्टम लाया गया. उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई और इसे सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए हर कैटेगरी में 20,000 रुपए कर दिया. यानी अगर किसी की टोटल एनुअल इनकम 40,000 रुपए थी, तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद वह 20,000 रुपए रह जाती और ये टैक्स-फ्री होती. वहीं साल का ₹75000 कमाने वाले ऐसे एम्प्लॉइज को भी टैक्स से छूट दी गई जो अपने पीएफ में टोटल का 10% जमा करते थे.

पी. चिदंबरम के जाने के बाद लगभग 10 साल तक इनकम टैक्स में बड़े बदलाव नहीं हुए. बल्कि 2005-06 के बजट में वह दोबारा वित्त मंत्री बने. तब उन्होंने 1 लाख रुपए तक इनकम टैक्स-फ्री कर दी. जबकि 30% के सबसे हाई टैक्स रेट को 2.5 लाख रुपए से ज्यादा कमाने वालों के लिए रखा. इसके करीब 5 साल बाद प्रणव मुखर्जी ने टैक्स स्लैब में बदलाव किए और टैक्स-फ्री इनकम की लिमिट 1.6 लाख रुपए हो गई. जबकि हाई टैक्स रेट की 8 लाख रुपए से अधिक इनकम वालों पर लगने लगा.

अरुण जेटली ने किए बड़े बदलाव
इसके बाद 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई. अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय की कमान मिली. उन्होंने वेल्थ टैक्स को हटाकर 2% का सरचार्ज लगाना शुरू किया. ये 1 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाने वाले सुपर-रिच लोगों पर लगाया गया. फिर 2017-18 में 2.5 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स-फ्री हो गई. जबकि 5 लाख रुपए तक की इनकम के लिए नया टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% कर दिया गया. इसी के साथ इनकम टैक्स कानून में रिबेट सिस्टम को बदला गया. जिसकी वजह से लोगों की 3 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स-फ्री हो गई.

निर्मला सीतारमण लाईं ‘न्यू टैक्स रिजीम’
मनमोहन सिंह के बाद देश के टैक्स सिस्टम में बहुत बड़ा बदलाव मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में उन्होंने ‘न्यू टैक्स रिजीम’ का खाका पेश किया. इससे टैक्स सिस्टम को सिंप्लीफाई किया गया. टैक्स की दरों को कम किया गया. इनकम टैक्स में मिलने वाली लगभग सभी छूटों को खत्म करके लोगों के लिए आसान स्लैब बनाई गई. पिछले साल इसी टैक्स सिस्टम को डिफॉल्ट बना दिया गया.

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