समुद्र के बीचोंबीच बना ये एयरपोर्ट गिन रहा अंतिम सांसें, 1.66 लाख करोड़ है कीमत

एक ऐसा एयरपोर्ट जो इंसान ने समुद्र के बीचों-बीच बनाया. इसे बनाने में 7 साल से ज्यादा का वक्त लगा और लागत आई 20 अरब डॉलर. अब ये हर साल डूब रहा है. चलिए जानते हैं इसकी कहानी…

अगर इंसानी दुनिया के इतिहास को देखें तो इसने अंतरिक्ष की ऊंचाई नापी…समुद्र की गहराई का भी पता लगाया. उसके कौतुक ने दुनिया के कई राज से पर्दा उठाया. ऐसा ही कारनामा उसने किया जब समुद्र के बीचों-बीच एक एयरपोर्ट बनाया. अब लगभग 30 साल बाद समुद्र इस एयरपोर्ट को धीरे-धीरे लील रहा है.

जी हां, यहां बात हो रही है जापान के कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जिसने साल 1994 में काम करना शुरू किया था. ये जापान के ओसाका और आसपास के अन्य शहरों के काम आता है. अब ये एयरपोर्ट लगातार डूब रहा है. साल 2018 की एक स्टडी के मुताबिक ये एयरपोर्ट अब तक करीब 40 फीट डूब चुका है. ये अनुमान से 25% अधिक है. वहीं 2056 तक इसके 13 फीट और डूबने की संभावना है. तब समुद्र का पानी यहां की सतह पर आ जाएगा.

क्यों जरूरी है ये एयरपोर्ट?

इस एयरपोर्ट को बनाने का काम 1987 में शुरू हुआ और कंप्लीट होने में 7 साल का समय लगा. ये आज भी हर साल 2.5 करोड़ पैसेंजर को सर्व करता है. इसे बनाने में 1.66 लाख करोड़ रुपए की लागत आई. इसका रनवे 4,000 मीटर से ज्यादा बड़ा है, जो इसे दुनिया के सबसे लंबे और बड़े एयरपोर्ट में शामिल करता है.

इस एयरपोर्ट के मुख्य शहर से दूर होने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे 24 घंटे आराम से ऑपरेट किया जा सकता है. ये ओसाका, क्योटो और कोबे जैसे जापान के बड़े शहरों को दुनिया से जोड़ता है. वहीं ऑल निपॉन एयरवेज, जापान एयरलाइंस और निपॉन कारगो एयरलाइंस के लिए बेस स्टेशन का काम करता है.

 

आखिर समुद्र के बीच क्यों बनाया एयरपोर्ट?

इस एयरपोर्ट को बनाने का मूल विचार तब आया जब ओसाका के पुराने एयरपोर्ट पर भारी भीड़ होने लगी. इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए समुद्र में बाकायदा सी-बेड बनाया गया. इतना ही नहीं इस सी-बेड को सिंक होने से बचाने के लिए इसके चारों ओर एक सी-प्रोटेक्श वॉल बनाई गई. अब एयरपोर्ट और इस पर बनी टर्मिनल के बिल्डिंग के बोझ से यही सी-बेड सिंक हो रहा है जिसकी वजह से एयरपोर्ट डूब रहा है.

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