CA की नौकरी छोड़ शुरू किया बिज़नेस तो खूब लड़ी मां, अब साल में ₹50 करोड़ का व्‍यापार करती है ये जिद्दी लड़की

इंसान के पास सही स्किल, जुझारुपन और सही मौके पर बोल्‍ड डिसिजन लेने की ताकत हो तो वह किसी भी बुलंदी पर पहुंच सकता है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के रामेश्‍वरम कैफे (Rameshwaram cafe) की को-फाउंडर दिव्‍या राय ने इसे साबित भी करके दिखाया है. साधारण परिवार में जन्‍मीं दिव्‍या ने पहले कड़ी मेहनत कर आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई की. वो एक सफल सीए भी रही. फिर अच्‍छी-भली नौकरी को छोड़ फूड बिजनेस में कूद पड़ी. उनकी मां उनके इस फैसले के खिलाफ थी. लेकिन, दिव्‍या को खुद पर विश्‍वास था. उनके इसी विश्‍वास की बदौलत वो अपने पति और बिजनेस पार्टनर राघवेंद्र राव के साथ मिलकर सालाना 50 करोड़ रुपये सालाना (Rameshwaram Cafe Turnover) का बिजनेस कर रही हैं.

रामेश्‍वरम कैफे बेंगलुरु के खाने-पीने के शौकीनों का एक फेवरेट डेस्टिनेशन है. साल 2021 में दस बाई दस फीट की जगह में खुले इस मशहूर कैफे की अब बेंगलुरु में तीन ब्रांच हो चुकी हैं. दिव्‍या रामेश्‍वरम कैफे की मैनेजिंग डायरेक्‍टर हैं, जबकि राघवेंद्र राव सीईओ है. रामेश्‍वरम कैफे के आउटलेट इंदिरानगर, जेपी नगर और आईटीपीएल रोड पर है.

महीने के मिलते थे एक हजार रुपये

दिव्‍या राव साधारण परिवार में जन्‍मी. उन्‍हें हर महीने जेब खर्च और पढ़ाई के लिए बस 1000 रुपये ही मिलते थे. उन्‍होंने बचपन से ही जान लिया था कि वो अपनी किस्‍मत पढ़कर ही बदल सकती हैं. इसीलिए उन्‍होंने जमकर पढ़ाई की. जब वो ट्यूशन पढ़ने जाती थी तो उन्‍हें कई बस बदलनी पड़ती. ऐसा वो किराया बचाने को करती थी क्‍योंकि ऑटो रिक्‍शा का किराया ज्‍यादा था. दिव्या ने आईआईएम-अहमदाबाद से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है.

आईआईएम में देखा उद्यमी बनने का सपना

आईआईएम में पढ़ाई करते हुए ही दिव्‍या ने सोच लिया था कि वो अपना काम करेगी. पढ़ाई के बाद वो सीए बन गई और नौकरी शुरू कर दी. कुछ समय बाद उनकी मुलाकात राघवेंद्र राव से हुई. राघवेंद्र के पास फूड इंडस्‍ट्री में 20 साल का अनुभव था. वो नौकरी छोड़कर अपना एक छोटा सा रेस्‍टोरेंट चला रहे थे. लेकिन, वो ज्‍यादा चल नहीं रहा था. दिव्‍या का सपना भी फूड इंडस्‍ट्री में ही उतरने का था. एक दिन राघवेंद्र ने दिव्‍या को मिलकर कैफे खोलने का प्रस्‍ताव दिया. दिव्‍या ने झट से हां कर दी.

मां ने खूब डांटा

सीए की नौकरी छोड़कर रोड साइड पर एक छोटा सा कैफे खोलने के उनके फैसले का उनकी मां ने खूब विरोध किया. उनकी मां ने कहा कि उन्‍होंने उसे आईआईएम जैसे संस्‍थान में बड़ी मुश्किल से इसलिए नहीं पढ़ाया कि वो दस-बीस रुपये में इडली-डोसा बेचे. लेकिन, दिव्‍या ने मां को स्‍पष्‍ट कह दिया कि वो नौकरी नहीं बिजनेस ही करेगी.

10 बाई 10 फुट के कैफे से शुरुआत

दिव्‍या और राघवेंद्र ने साल 2021 में बेंगलुरु के इंदिरा नगर में 10×10 स्क्वायर फुट की जगह में एक कैफे खोला. इसमें वो शाकाहारी दक्षिण भारतीय व्यंजन (South Indian Cuisine) परोसने लगे. सोशल मीडिया के इस्‍तेमाल, शानदार क्‍वालिटी और सर्विस तथा दोनों के मेहनत से यह कैफे जल्‍द ही मशहूर हो गया.

50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार

दो साल में ही रामेश्‍वरम कैफे ने खूब तरक्‍की की है. आज इसकी बेंगलुरु में तीन ब्रांच है. बी2बी मार्केटप्लेस उड़ान के सह-संस्थापक सुजीत कुमार ने एक पॉड कास्‍ट में बताया कि रामेश्‍वरम कैफे हर महीने अब 4.5 करोड़ रुपये का बिजनेस कर रहा है. दिव्‍या और राघवेंद्र का यह वेंचर 50 करोड़ सालाना का टर्नओवर दे रहा है.

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