क्या जेल में बंद कैदी पत्र लिख सकता है? अगर हां तो उसमे उन्हें क्या-क्या लिखने की अनुमति मिलती है?
पहले के जमाने में जब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे, तो लोग चिट्ठियों के जरिये एक दूसरे से बातचीत करते थे। पत्र एक लिखित संदेश है, जो एक व्यक्ति से एक माध्यम से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है। अब भी कुछ गांवों और कस्बों में चिट्ठियां लिखने की परंपरा जारी है। वहीं, एक जगह ऐसी भी है, जहां कैद लोगों को अपने परिवार से बातचीत करने के लिये पत्र का ही सहारा लेना पड़ता है। जेल में कैदी को अपने परिवार से संपर्क करने के लिये पत्र लिखने की अनुमति है, लेकिन इसके लिये उन्हें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जिनके बारे में हम आगे बात करने वाले हैं।
आला-अधिकारियों की अनुमति जरूरी
अगर आप जेल में बंद हैं और अपने परिवार से संपर्क करने के लिये चिट्ठी लिखना चाहते हैं, तो इसके लिये आपको पहले वहां के आला अधिकारियों से अनुरोध करना होगा। ये अनुरोध भी आप एक पत्र के माध्यम से कर सकते हैं। अनुमति मिलने के बाद आप अपने परिजनों या दोस्तो को खत लिख सकते हैं। खत लिखते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, नहीं तो आप समस्या में पड़ सकते हैं।
आपको अपना संदेश अपने प्रियजनों तक पहुंचाने के लिये जेल की कुछ गाइडलाइंस का पालन करना होगा। अगर आपके खत में अधिकारियों को जरा सा भी कुछ संदेहजनक लगा, तो वे आपका पत्र पते पर नहीं पहुंचायेंगे और आपको सजा भी मिल सकती है।
जेल से पत्र लिखते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
खत में ऐसी कोई बात लिखने से बचना चाहिये, जो आला अधिकारियों की आंखों में खटके। याद रखें कि आप चिट्ठी अपने प्रियजनों को अपनी जानकारी देने के लिये लिख रहे हैं, ना कि प्रशासन की शिकायत के लिये। इस लिये अगर जेल के भीतर की कोई भी समस्या हो, जैस खान-पान में दिक्कत, तो इसके बारे में अधिकारियों को सूचित करें ना कि खत में लिखें।
अपने सहकैदी के बारे में खत में शिकायत बिल्कुल भी ना करें, क्योंकि आगे चल कर ये आपके लिये मुश्किल खड़ा कर सकता है। अपने खत में अच्छी और सरल भाषा का इस्तेमाल करें ना कि बुरी भाषा का। अपनी गलतियों के बारे में सही जानकारी दें और यदि आपने दोष किया है, तो अपना दोष स्वीकार करें। आप चिट्ठी के जरिये अपने प्रियजनों को अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दे सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं।