शहर के बाद अब ऐतिहासिक होटलों को बेच रहा यह कंगाल मुल्क, भारत को मानता है करीबी दोस्त

अफ्रीका के एक किनारे पर बसा मिस्र इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि यह देश शहरों को बाद अब ऐतिहासिक होटलों को बेचने लगा है। मिस्र की सरकार इन होटलों की बिक्री से होने वाली कमाई का इस्तेमाल अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने में करना चाहती है। बताया जा रहा है कि मिस्र की सरकार मैरियट मेना हाउस होटल समेत छह ऐतिहासिक होटलों की बिक्री करने जा रही है। इनके लिए संयुक्त अरब अमीरात के कई बड़े बिजनेस टाइकून ने बोलियां भी लगाई हैं। ये होटल राजधानी काहिला, अलेक्जेंड्रिया समेत कई दूसरे बड़े शहरों में फैले हुए हैं। जिन होटलों को अमीराती बिजनेसमैन खरीद रहे हैं, उनमें लक्सर में सोफिटेल विंटर पैलेस, असवान में ओल्ड मोतियाबिंद और अलेक्जेंड्रिया तट पर स्टीजनबर्गर सेसिल शामिल हैं।

कर्ज चुकाने के लिए कुछ भी करने को तैयार मिस्र

मिस्र सरकार के धन जुटाने के प्रयासों में भूमि के किसी भी टुकड़े या आधुनिक इतिहास को सीमा से बाहर नहीं माना जाता है। अमीराती निवेशकों ने हाल के वर्षों में बड़ी मात्रा में मिस्र की संपत्तियों और कंपनियों को खरीदा है। इनमें काहिरा के तहरीर चौक में मिस्र सरकार की एक इमारत भी शामिल है। इस इमारत को 200 मिलियन डॉलर की कीमत पर बेचा गया है। यह भी कहा जा रहा है कि एक अमीराती कंसोर्टियम मिस्र के उत्तरी तट पर भूमि अधिग्रहण के लिए 22 अरब डॉलर के सौदे पर बातचीत कर रहा है।

गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा मिस्र

मिस्र इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में मिस्र की सरकार की कोशिश कुछ भी करके खुद को दिवालिया होने से बचाने की है। मिस्र इस वक्त भारी मुद्रास्फीति और महंगाई का सामना कर रहा है। मिस्र अब अर्जेंटीना के बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार बन गया है। इसके बावजूद मिस्र की सरकार वर्तमान में अपने ऋण कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत कर रही है। मध्य पूर्व नीति के लिए तहरीर इंस्टीट्यूट के एक विश्लेषक कालदास ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से दबाव में सार्वजनिक संपत्ति बेचने वाला देश है।” “मिस्र की वित्तीय स्थिति पूरी तरह से अस्थिर स्थिति में है।”

मिस्र का भारत के साथ नजदीकी संबंध

मिस्र के भारत के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। भारत और मिस्र ने 1955 में मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) की स्थापना की थी। वर्तमान में भी भारत और मिस्र के संबंध काफी मजबूत हैं। पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र की ऐतिहासिक यात्रा की थी। इस दौरान मिस्र ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान ऑर्डल ऑफ नाइल से सम्मानित किया था। भारत और मिस्र के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी भी है। भारत ने 2023 में नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में मिस्र को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया था।

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