कांग्रेस-आप की खींचतान, चुनावी आंकड़े पर फंसी बात
गठबंधन का गणित कुछ भी हो, लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच सीटों के बंटवारे का फैसला अभी भी आकलन में फंसा है। लोकसभा चुनाव का गणित यह साफ बताता है कि दिल्ली की सातों सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद यहां के लोगों की दूसरी पंसद अब तक कांग्रेस पार्टी ही रही है।
इस जनमत के आधार पर ही कांग्रेस ने गठबंधन में ‘आप’ से अधिक सीटों की मांग की है। हालांकि, ‘आप’ ने कई चरण की बैठकों के बाद कांग्रेस को केवल एक ही सीट देने की बात कहकर इस मसले को उलझा दिया है।
कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, दिल्ली लोकसभा चुनाव 2019 का आकलन बताता है कि उनकी पार्टी सातों सीटों पर हुए नुकसान के बाद भी दिल्ली की जनता की दूसरी पंसद थी। तब सात में से पांच सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी और इसके बाद तीसरे नंबर पर ‘आप’ थी। इसी तरह ‘आप’ दिल्ली की दो सीट पर दूसरे नंबर पर थी। यह ‘आप’ का दूसरा लोकसभा चुनाव था। इससे पहले ‘आप’ ने 2014 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब ‘आप’ की हालत अधिक खराब थी और कई सीट पर उसके नेताओं की जमानत भी जब्त हुई थी।
जल्द होगी गठबंधन की बैठक
‘आप’ द्वारा गठबंधन के तहत कांग्रेस को एक सीट का प्रस्ताव हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता संदीप पाठक ने दिया था। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुद स्वीकार किया था कि अभी गठबंधन की सीटों को लेकर कांग्रेस व ‘आप’ के बीच चर्चा जारी है। इस मसले पर दोनों दलों की बैठक जल्द होने की उम्मीद है।
वहीं, कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली भी सीट बंटवारे को लेकर साफ कह चुके हैं कि गठबंधन में एक सीट लेने का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस का तर्क है कि उसके पास ‘आप’ से अच्छे व बड़े नेताओं के चेहरे हैं। हालांकि, इस मामले में आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान को लेना होगा।
2014 के बाद बिगड़ा था आप का गणित
लोकसभा चुनाव 2014 के आंकड़े के अध्ययन में सामने आया है कि ‘आप’ सभी सातों सीट पर कांग्रेस पार्टी से मजबूत स्थिति में थी। मगर, 2019 के चुनाव में उसे सभी सीट पर ऐसी सफलता नहीं मिली। 2014 के चुनाव में चांदनी चौक में कांग्रेस को केवल 17.95 फीसद मत मिले थे, लेकिन ‘आप’ के पास यहां मतों का आंकड़ा 30.72 फीसद था।
उत्तर पूर्व सीट पर कांग्रेस को 16.5 फीसद मत मिले थे, जबकि ‘आप’ ने 34.41 फीसद मत प्राप्त किए थे। पूर्वी दिल्ली में यह आंकड़ा कांग्रेस के लिए 16.98 फीसद था, जबकि ‘आप’ के पास 31.90 फीसद मत थे। नई दिल्ली सीट पर कांग्रेस के पास 18.85 फीसद और ‘आप’ के पास 29.85 फीसद मत थे। इसी तरह पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में ‘आप’ ही मजबूत स्थिति में थी।