Delhi Property: दिल्ली में मकान या फ्लोर खरीदने से पहले अच्छे से कर लें जांच, वरना जिंदगी भर पड़ेगा पछताना

हाल ही में नोएडा का ट्विन टावर (Noida Twin Tower) ढहने के बाद फ्लैट्स (Flats) में रहने वाले लोग सहमे हुए हैं।

लोगों के मन में यह सवाल है कि कहीं उनकी बिल्डिंग भी तो गैरकानूनी (Unauthorised Building) रूप से नहीं बनी है? अगर उनकी बिल्डिंग ढहा दी गई तो उनका फ्लैट भी खत्म हो जाएगा।

ऐसे में वे कहां जाएंगे? किससे शिकायत करेंगे? यह काफी जरूरी है कि प्रॉपर्टी (Property) खरीदने से पहले अच्छी-तरह जांच पड़ताल कर ली जाए। प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और पेपर्स (Property Papers) की भी पड़ताल जरूरी है।

आज हम आपको बताएंगे कि ग्राहकों को फ्लैट, फ्लोर, मकान या जमीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। योगेश तिवारी, सचिन हुड्डा और राजेश भारती ने एक्सपर्ट्स से बात करके यह जानकारी जुटाई है।

देखें रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर

आप जिस भी प्रोजेक्ट में फ्लैट करीद रहे हैं, वह रेरा (RERA) में रजिस्टर होना चाहिए। यह रियल एस्टेट (Real Estate) का एक कानून है, जो भारतीय संसद से पारित है। इसका मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में आम जनता के हितों की रक्षा करना और उन्हें धोखाधड़ी से बचाना है। अलग-अलग राज्यों में रेरा के नियमों में कुछ फर्क हो सकता है। 500 वर्ग मीटर से कम जमीन पर बने अपार्टमेंट पर रेरा के नियम लागू नहीं होते।

वेबसाइट पर तमाम डिटेल डालता है डिवेलपर

अमूमन हर राज्य में रेरा की अपनी वेबसाइट है। वेबसाइट पर हर डिवेलपर को रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन के दौरान डिवेलपर को बिल्डिंग प्लान, सेक्शन प्लान, कॉमन एरिया, मिलने वाली सुविधाएं, पजेशन कब मिलेगा जैसी तमाम डिटेल्स डालनी होती हैं।

रजिस्टर करने के बाद डिवेलपर को प्रोजेक्ट का एक नंबर मिलता है। संबंधित राज्य की रेरा की वेबसाइट पर जाकर उस नंबर को डालने से डिवेलपर और प्रोजेक्ट के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है।

इसमें प्रोजेक्ट के ले-आउट प्लान से लेकर प्रोजेक्ट को कौन-कौन से क्लियरेंस मिले हैं, इसकी भी जानकारी होती है। हाउसिंग और कमर्शल प्रोजेक्ट बनाने वाले डीडीए, जीडीए जैसे संगठन भी इस कानून के दायरे में आते हैं।

कहीं अनऑथराइज्ड तो नहीं है?

दिल्ली में मकान या फ्लोर खरीदने से पहले यह जांचें कि कहीं वह अनऑथराइज्ड तो नहीं हैं। काफी लोग अनधिकृत जमीन पर कब्जा करके मकान बनाकर बेच देते हैं। पता चलने पर एमसीडी उस कंसट्रक्शन को तोड़ देती है.

और उसके रजिस्ट्रेशन से जुड़ी जानकारी सब-रजिस्ट्रार को सौंप दी जाती है। जब कोई शख्स ऐसी जमीन या मकान की रजिस्ट्री करने पहुंचता है, तो पता चलता है कि वह जमीन या मकान अनऑथराइज्ड है और इसकी रजिस्ट्री नहीं हो सकती।

लीज पर तो नहीं ली गई बिल्डिंग की जमीन?

किसी भी सोसाइटी में फ्लैट खरीदने से पहले यह जरूर देख लें कि जिस जमीन पर सोसायटी बन रही है, वह जमीन लीज होल्ड वाली है या फिर सेल डीड (रजिस्ट्री) वाली है। लीज होल्ड वाली है.

तो लीज कितने बरसों के लिए है। इसके बदले में जो चार्ज संबंधित अथॉरिटी ने लगाया था, बिल्डर ने वह चुकाया है या नहीं। बिल्डर ने वह नहीं चुकाया है तो बिल्डिंग सील भी हो सकती है।

रेरा की वेबसाइट पर जाकर करें क्रॉस चेक

बिल्डर से प्रोजेक्ट लेआउट की कॉपी मांग सकते हैं। फिर लेआउट प्लान का मिलान रेरा की वेबसाइट या संबंधित अथॉरिटी में जाकर पास हुए नक्शे से कर सकते हैं। यह देखें कि बिल्डर ने जो लेआउट प्लान और नक्शा दिया है, उसके मुताबिक निर्माण है या नहीं।

अगर बिल्डिंग को संबंधित अथॉरिटी ने ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट या पार्शल ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया है और सोसायटी में गलत तरीके से बिजली आदि का कनेक्शन जोड़ा गया है, तो उस कनेक्शन को बंद किया जा सकता है।

रजिस्ट्री पेपर जरूर देखें

दिल्ली जैसे शहर में कोई मकान या प्लोर खरीद रहे हैं, तो उस मकान की रजिस्ट्री से जुड़े पुराने कागज जरूर चेक कर लें। अगर बायर और सेलर की एक चेन बनी हुई है, तो संभव है कि वह मकान या फ्लोर लीगल है। संबंधित जिले के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर जमीन से जुड़े रजिस्ट्री पेपर चेक कर सकते हैं।

मालिकाना हक

पुश्तैनी या पैतृक जमीन : यह जमीन किसी को उसके पिता या दादा से मिली हुई होती है। ऐसी जमीनों में कई बार सेल डेड यानी रजिस्ट्री के पेपर नहीं होते। लेकिन इनके पास जमाबंदी (सरकार हर 5 से 6 साल पर इलाके के पटवारी से सर्वे करवाती है और जमीन को असल मालिक के नाम से दर्ज करती है) होती है। पुश्तैनी जमीन खरीदने पर पिछले 5 या 6 जमाबंदी (30 साल) के कागजात जरूर देखें।

खुद खरीदी गई जमीन : ऐसी जमीनों की सेल डीड होती है यानी इनकी रजिस्ट्री होती है। इसलिए जिससे भी जमीन खरीद रहे हैं, उससे कागजात की कॉपी लेकर वहां के रजिस्ट्रार ऑफिस में भी जा सकते हैं।

वहां से जमीन के पेपर निकलवाते हैं। फिर उसका मूल कागजात से मिलान करते हैं। उस पर जिसका नाम दर्ज है, वह सही है या नहीं। रजिस्ट्री की सर्टिफाइड कॉपी भी निकलवा सकते हैं। इसके लिए भी वही प्रोसेस है, जो ऊपर बताया गया है।

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