क्या आप भी ऊपर से खीरे को काटकर घिसते हैं? क्या सच में ही ऐसा करने से कड़वाहट दूर होती है?
आमतौर पर खीरे का स्वाद सभी लोगों को पसंद आता है। अगर खीरा कभी कड़वा निकल जाए तो लोगों का मन बिगड़ जाता है। आपने शायद देखा होगा कि बहुत सारे घरों में खीरे को ऊपर से काटकर उसे घिसते हैं और कहते हैं कि इससे खीरे की कड़वाहट दूर हो जाती है। खीरे को घिसते ही उस पर झाग के समान कुछ तत्व दिखाई देते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये तत्व खीरे की कड़वाहट को बाहर निकाल देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा किया है और यह बात सत्य है कि खीरे की कड़वाहट इससे दूर हो जाती है। चलिए, इस बारे में कुछ सच्चाई जानते हैं।
क्यों होता है खीरा कड़वा
आपको यह जानकर खुशी होगी कि आपका ज्ञान सही है। वास्तव में, खीरे में एक विषाणु होता है जिसे “कुकुर विटामिन” के नाम से जाना जाता है। यह रसायनिक पदार्थ खीरे को कड़वा बनाता है। यह पदार्थ खीरे के ऊपरी भाग में ही मौजूद होता है। जब लोग खीरे को काटकर रगड़ते हैं तो उसका प्रभाव खीरे के ऊपरी हिस्से में छिपा हुआ कुकुर विटामिन होता है। इस पदार्थ को जबरदस्ती बाहर निकाल दिया जाता है और वह झाग की तरह जमा होकर खीरे के सतह पर आ जाता है, इसलिए खीरा कड़वाहट नहीं करता है।
क्या सच में खीरा रगड़ने से कड़वाहट दूर होता है
खीरे की कड़वाहट को दूर करने के लिए, आप खीरे को काटकर ऊपर से रगड़ते हैं तो उसमें से झाग की तरह तरल पदार्थ बाहर निकलता है। इससे सभी कड़वाहट दूर हो जाती है। इस तथ्य के साथ, कई तरह की रिसर्च भी की गई है जहां लोगों ने इस विषय पर अलग-अलग बातें खोजी हैं।
विभिन्न रिसर्चों के आधार पर पाया गया है कि खीरे को काटकर रगड़ने से उसकी कड़वाहट दूर होती है। खीरे के भीतर कुकुर विटामिन नामक विषैला पदार्थ केवल उसके किनारे पर ही मौजूद होता है। जब आप इसे काटते हैं और रगड़ते हैं, तो उसमें से झाग निकलता है। यह खीरे की कड़वाहट को दूर कर देता है। इसके अलावा, कुकुर विटामिन खीरे में अधिकतम राशि में नहीं पाया जाता है और यह खीरे की सभी कड़वाहट को हटा देता है।
विदेशी वेबसाइटों की छुपी हुई रिसर्च के अनुसार बताया गया है कि जैसे जैसे खीरे पकने लगते हैं, वैसे-वैसे कुकुर बिटासिन नामक तत्व की मात्रा कम होती है। इसके कारण कड़वा स्वाद प्राप्त करने की संभावना कम होती है। आमतौर पर, खीरे के कड़वे स्वाद को दूर करने के लिए जब लोग खीरे के सिरे को घिसते हैं, तो इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। क्योंकि पके हुए खीरे के सिरे में यह तत्व पाया जाता है, और समय के साथ जैसे खीरे पकने लगते हैं, तो इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है।