Explained: हीटवेव और बारिश बनी कार कंपनियों के लिए विलेन, क्या अब लौटेंगे अच्छे दिन
भीषण गर्मी और बेमौसम बारिश कार कंपनियों के लिए मुसीबत का कारण बन रही है. इस साल निफ्टी ऑटो इंडेक्स ने 40% की उछाल दर्ज की जो कि निफ्टी 50 की 16% बढ़त से कई ज्यादा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि ऑटो रिटेल बिक्री में तेजी देखने को मिलेगी लेकिन बेमौसम बारिश ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया.
अगस्त के मार्केट आकड़ो के मुताबिक, घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई. मार्केट लीडर मारुति सुजुकी की बिक्री में 8.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, कंपनी ने महज 1,43,075 यूनिट बेचा. वहीं हुंडई की स्थानीय बिक्री 8 फीसद गिरकर 49,525 यूनिट पर सिमट गई. स्वेदशी ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स को भी मौसम का मार झेलनी पड़ी. टाटा मोटर्स 3 प्रतिशत गिरावट के साथ मार्केट में केवल 44,142 यूनिट बेचने में सफल रहा. आर्टिकल में समझें कि कौन से कारक बनें ऑटो मार्केट में गिरावट की वजह.
मासिक बिक्री का रुझान
मई-जून: मई-जून महीने के हीटवेव ने कस्टमर को शोरूम से दूर रखा, नतीजतन मार्केट में गाड़ियों की बिक्री कम हुई.
जुलाई: जुलाई में बारिश के साथ ही ऑटो मार्केट में बढ़त ने फिर से दस्तक दी.
अगस्त: आईएमडी के आकड़ो के मुताबिक, अगस्त महीने में भारत ने सामान्य से 16% ज्यादा बारिश दर्ज की. बारिश के कारण जहां कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिती पैदा हो गई तो कई इलाके ऐसे भी रहे जहां बारिश के इंतजार में फसलें सूख गईं. संभावना है कि मनमाने मौसम का यह सिलसिला सितंबर में जारी रह सकता है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ऑटो इंडस्ट्री में कम बिक्री की वजह मौसम संबंधी कारकों को बताते हैं.
2. निजी वाहनों की बिक्री पर असर
मोटरसाइकिल और स्कूटर: छोटी दूरी कि यात्रा हो या एकल लंबा सफर मोटरसाइकिल और स्कूटर अधिकांश भारतीयों के लिए अक्सर पहली पसंद होती है. इस साल (जनवरी-अगस्त 2024) दोपहिया वाहनों के बिक्री में साल-दर-साल 12% की बढ़त दर्ज हुई. मार्केट में बढ़त निजी अंतिम खपत और पेंट-अप डिमांड की अच्छे रिटर्न का संकेत है. हालांकि दोपहिया वाहनों के बिक्री के पीछे आर्थिक कारण भी है.
कार: हाई बेस अफेक्ट के कारण दो बेहद मजबूत सालों के बाद कार मार्केट में साल दर साल 4% की मामूली बढ़त दर्ज की गई.
साल के शुरूआत में दोपहिया वाहनों के बिक्री में बढ़त दिखी लेकिन मई और जून में हिटवेव के वजह से कार और दोपहिया वाहन की बिक्री हाथी की चाल चलने लगी. जुलाई में फिर से बिक्री ने रफ्तार पकड़ी लेकिन फिर से कई इलाकों में बाढ़ के कारण मार्केट गिरने लगा.
2. कमर्शियल वाहन
भारत में कमर्शियल कामों के लिए ज्यादातर ट्रैक्टर और ट्रक इस्तेमाल किए जाते हैं. यह एक बड़ा मार्केट है. बावजूद, बीते तीन महीने में दोनों वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज हुई है.
ट्रक: ट्रक निर्माण में मंदी, चुनाव की लंबी अवधी के कारण ट्रक की बिक्री में कमी आई. लेकिन हीटवेव और भारी बारिश ने निर्माण और कृषि परिवहन को दोहरा घात किया जिससे मार्केट गिरा.
ट्रैक्टर: ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट के दो कारक हैं. जून -अगस्त 2023 से हाई बेस अफेक्ट और किसानों को प्रभावित करने वाली मौसम की गंभीर परिस्थितीयों ने भी ट्रैक्टर की बिक्री पर कई हद तक अंकुश लगाया.
3.सवारी वाहन
तीन पहिया वाहन, टैक्सी और बस: ये वाहन भारत की सार्वजनिक सड़क-परिवहन प्रणाली की रीढ़ हैं. ऑटो इंडस्ट्री में जहां सभी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली वहीं सवारी वाहनों ने अपनी बिक्री को स्थिर बनाए रखा. तीन पहिया वाहन, टैक्सी और बस में बहुत कम या कहें ना मात्र के गिरावट देखने को मिली. तिपहिया वाहनों और टैक्सियों की मांग शिखर पर है. वहीं कोरोनाकाल के बाद लोगों की आवाजाही बढ़ी है जिसका असर सीधा बढ़ती बसों की मांग पर देखा जा रहा है.
बाउंस बैक कर रहा ऑटो सेक्टर
जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, इस साल के मार्केट से यह बात अब स्पष्ट भी हो गई है. जरूरत है कि मार्केट आगे आने वाले ऐसी स्थिती के लिए खुद को न केवल तैयार रखें बल्कि गिरावट को रोकने और बिक्री बढ़ाने के तमाम कारकों पर जोर दें. हलांकि मौसम के मार के बावजूद कंपनी के बाउंस बैक करने के साफ आसार नजर आ रहे हैं. यह संभावना ज्यादातर दोपहिया वाहन और सवारी गाड़ियों में दिखने को मिल रहा है. ताजा आकड़ें बेहतर FMCG बिक्री का भी संकेत दे रहे हैं. साथ ही अगामी त्योहारी महीने भी ऑटो सेक्टर में बढ़त में भूमिका निभाएंगे.