‘1951 से 2023 के डाटा से…’, कैसा रहेगा इस साल का मानसून? IMD ने दी बड़ी खबर

Monsoon IMD Update: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को देश में इस साल होने वाले मानसून का पूर्वानुमान जारी किया है. विभाग ने बताया कि इस साल मानसून का बारिश औसत से ज्यादा रह सकती है.

वहीं, सीजन की कुल बारिश, 87 सेंटीमीटर औसत के साथ 106 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग ने इसके लिए सटीक कारणों का भी उल्लेख किया है.

आईएमडी ने बाताया कि इस साल ला-नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर तक सक्रिय होने की संभावना है, यह प्रोसेस भारत में अच्छे मानसून के लिए जिम्मेवार मानी जाती है. आईएमडी प्रमुख ने बयान जारी कर बताया कि साल 1951 से 2023 तक के आंकड़ों को देखा जाए तो भारत में उन नौ मौकों पर सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा दर्ज की गई, जब अल नीनो (Al-Nino) के बाद ला नीना (La- Nina) की स्थिति बनी थी.

मौसम विभाग ने मानसून को लेकर क्या कुछ कहा?
1. पूरे देश में 2024 दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतुनिष्ठ (जून से सितंबर) वर्षा सामान्य से अधिक (> दीर्घावधि औसत (एलपीए/Long Period Average/LPA) का 104%) होने की संभावना है। मात्रात्मक रूप से, पूरे देश में ऋतुनिष्ठ वर्षा ± 5% की मॉडल त्रुटि के साथ एलपीए/LPA का 106% होने की संभावना है.1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में ऋतुनिष्ठ वर्षा का दीर्घावधि औसत (एलपीए/LPA) 87 सेमी. है.

2. वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम (moderate) स्थिति बनी हुई है। नवीनतम एमएमसीएफएस/MMCFS के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून ऋतु के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ ईएनएसओ/ENSO स्थितियों में परिवर्तित होने की संभावना है और इसके बाद मानसून ऋतु के दूसरे भाग में ला नीना स्थितियां विकसित होने की संभावना है.

3. वर्तमान में, हिंद महासागर पर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव/डाइपोल (आईओडी/IOD) स्थितियां मौजूद हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव/डाइपोल (आईओडी/IOD) स्थितियां दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु के उत्तरार्ध के दौरान विकसित होने की संभावना है.

4. पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की आवरण सीमा सामान्य से कम थी। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत में बर्फ की आवरण सीमा का आगामी भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्यतः विपरीत संबंध है.

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