GDP पर मिल गई अच्छी खबर, इकोनॉमी पर कुछ ऐसा बोले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने सरकार को राहत भरी खबर दी है. उन्होंने कहा है कि भले ही देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 15 महीने के निचले स्तर 6.7 फीसदी पर आ गई हो लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था 2024-25 में 6.5-7 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 6.7 फीसदी रह गई है. इसका मुख्य कारण कृषि उत्पादन में सुस्ती है, जो 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के 3.7 फीसदी से घटकर दो फीसदी रह गई.
एग्री सेक्टर में आएगा उछाल
कृषि क्षेत्र की वृद्धि के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत कम मानसून उपखंडों में कमी आई है और अधिकांश उपखंडों में सामान्य वर्षा हुई है. खरीफ की बुवाई पिछले साल से ज़्यादा है. सीईए ने कहा कि मुझे लगता है कि जैसे-जैसे हम वित्त वर्ष में आगे बढ़ेंगे, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर में उछाल आएगा. ग्रामीण उपभोग वास्तव में स्थिर हो गया है तथा इसमें सुधार हुआ है, तथा अच्छे मानसून से आगामी तिमाहियों में ग्रामीण तथा समग्र मांग को और बढ़ावा मिलेगा.
बैंक की बुक बेहतर स्थिति में
उन्होंने कहा कि जहां तक परिदृश्य का सवाल है, वृद्धि की गति मजबूत बनी हुई है. चुनाव और सरकारी खर्च में कमी के कारण पहली तिमाही में सुस्ती की आशंका थी… मानसून में अच्छी प्रगति हुई है, कॉरपोरेट और बैंकों का बही-खाता अच्छी स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि बजट निरंतर अच्छी गति को और बढ़ावा देता है, विशेष रूप से रोजगार, उत्पादन, कौशल, कृषि, एमएसएमई क्षेत्र और मध्यम अवधि में ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है.
वित्त वर्ष में कितनी रहेगी ग्रोथ
उन्होंने कहा कि ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5-7 फीसदी की वृद्धि दर की उम्मीद कर सकती है और यदि पिछले दशक में किए गए संरचनात्मक सुधारों को आने वाले वर्षों में और आगे बढ़ाया जाता है तो यह निरंतर आधार पर सात फीसदी से अधिक की दर से बढ़ सकती है. उन्होंने विश्वास जताया कि वृद्धि की गति मजबूत बनी हुई है और चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5-7 फीसदी की वृद्धि दर बहुत यथार्थवादी है.