JCB से तालाब में चल रही थी खुदाई, अचानक आई अजीब आवाज, हर कोई रह गया सन्न, ‘हिल’ गया प्रशासन
बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा इलाके के सिझौड़ी गांव में तालाब में खुदाई के दौरान काले पत्थर से निर्मित भगवान की एक प्राचीन प्रतिमा मिलने से हड़कंप मच गया. प्रतिमा आठवीं सदी की बताई जा रही है. चमकीले काले पत्थर की मिली मूर्ति भगवान सूर्य की बताई जा रही है, जिसकी लंबाई लगभग साढ़े तीन फीट है. जानकारी के अनुसार मंगलवार को सिमरा तालाब से खेत मे मिट्टी डालने के लिए खुदाई की जा रही थी, जिस दौरान यह मूर्ति मिली. मूर्ति मिलने की खबर के बाद दर्जनों लोग गांव पहुंच कर भगवान सूर्य की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करने लगे. मूर्ति में भगवान विष्णु के दोनों हाथ में कमल फूल के अलावा दो छोटी प्रतिमा भी दोनों तरफ हैं.
दरअसल, मिट्टी की जरूरत पड़ने पर सिझौड़ी गांव के तालाब की खुदाई ग्रामीणों द्वारा करवाई जा रही थी. खुदाई के दौरान मजदूरों को काले पत्थर की मूर्ति दिखाई पड़ी, जिसके बाद धीरे-धीरे उसकी पूरी खुदाई कर भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा को बाहर निकल गया. भगवान सूर्य की प्रतिमा मिलने की खबर धीरे-धीरे आसपास के गांव तक पहुंच गई और फिर लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई. ग्रामीणों ने भगवान स्वरूप की दुर्लभ प्रतिमा को खुदाई स्थल से उठाकर मंदिर में लाकर रख दिया है.
खुदाई में मूर्ति मिलने की खबर सिकंदरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार और अंचलाधिकारी कृष्ण कुमार सौरभ पुलिस प्रशासन को भी मिली. दोनों अधिकारी आनन-फानन में गांव पहुंचे और प्रतिमा का अवलोकन भी किया. साथ ही इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग के अधिकारी को भी दी गई. सूचना के बाद गांव पहुंचे अधिकारी मूर्ति को अपने साथ ले जाकर म्यूजियम में रखना चाहते हैं, वहीं गांववालों का कहना है कि यह प्रतिमा यही रहेगी. भगवान सूर्य का मंदिर बनवाकर उसमें स्थापित की जाएगी.
गांव के सचिन कुमार धानुक और राजीव कुमार ने बताया कि तालाब में मिट्टी खुदाई के दौरान जो प्रतिमा मिली है, वे लोग मंदिर बनाकर उसे स्थापित करना चाह रहे हैं. आसपास के गांव वालों के लिए बैठक भी बुलाई गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. एक सिरे से निर्णय लिया गया कि तालाब के पास एक सूर्य मंदिर बनेगा जहां इस प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. फिलहाल घर में रखे गए दुर्लभ प्रतिमा को ठाकुरबाड़ी मंदिर में रखा जाए. ग्रामीण हरदेव सिंह ने बताया कि किसी भी सूरत में यह प्रतिमा जिला प्रशासन को नहीं दिया जाएगा. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं.