पिता के साथ सड़क पर जाते हुए दिखा कुछ ऐसा, मिल गया नए बिजनेस का आइडिया, लड़के ने बना दी 65 करोड़ की कंपनी

एक आइडिया आपकी जिंदगी बदल सकता है और यह आइडिया आपको कहीं भी कभी भी मिल सकता है. आज जिस बिजनेस सक्सेस स्टोरी के बारे में हम आपको बता रहे हैं इसका आइडिया अचानक सड़क पर जाते हुए ही मिला. नोवा फ्रेमवर्क्स कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़ी कंपनी है. कंपनी की स्थापना 2005-06 में हुई थी. इसके संस्थापक विकास मित्तल हैं. उन्होंने न्यूज18 से बातचीत में अपने स्टार्टअप के सफर के बारे में बताया. उन्होंने कंपनी की शुरुआत, सफर में आई कठिनाइयां और अंतत: सफलता के बारे में बातें की.

कंपनी के संस्थापक और एमडी विकास मित्तल बताते हैं कि उन्हें इस बिजनेस का आइडिया अपने पिता के साथ फैक्ट्री जाते हुए आया था. नोवा फ्रेमवर्क्स कंस्ट्रक्शन साइट पर शटरिंग मुहैया कराती है. जो लोग नहीं जानते हैं उन्हें बता दें कि शटरिंग किसी बिल्डिंग की कंस्ट्रक्शन का बुनियादी ढांचा होती है. बिल्डिंग बगैर शटरिंग के खड़ा किया जाना लगभग नामुमकिन होता है. इसकी तस्वीर आप नीचे देख सकते हैं.

लकड़ी नहीं स्टील की शटरिंग

मित्तल के मुताबिक, उन्होंने पाया कि खराब क्वॉलिटी की शटरिंग के कारण खराब बिल्ड क्वॉलिटी वाली इमारतें बन रही हैं. उन्होंने लकड़ी की जगह प्लास्टिक की शटरिंग के इस्तेमाल के बारे में सोचा. उनका मानना है कि प्लास्टिक की शटरिंग की लाइफ और क्षमता दोनों लकड़ी से बेहतर होती है. 2007 में उन्होंने 12 एमएम की मोटाई वाले प्लास्टिक बोर्ड बनाने शुरू कर दिए. बकौल मित्तल, इससे शुरुआती सफलता तो मिली लेकिन यह ज्यादा समय तक सफल नहीं हो पाया. प्लास्टिक को कुछ समय इस्तेमाल करने के बाद उसका ढांचा बिगड़ रहा था. इसके बाद उन्होंने प्लास्टिक बोर्ड को स्टील के फ्रेम से ढक दिया.

चुनौतियों भरा रहा रास्ता

विकास मित्तल बताते हैं कि शुरुआती सफलता के बाद जब प्लास्टिक की शटरिंग के साथ परेशानियां शुरू हुई तो यह काफी निराश करने वाला रहा. इसके बाद हमे स्टील फ्रेम की ओर जाना पड़ा. यह भी 100 फीसदी सही साबित नहीं हुआ और फिर मॉड्यूलर सिस्टम के लिए एक मोल्ड तैयार करना पड़ा. बकौल मित्तल, “अलग-अलग कॉन्ट्रेक्टर्स अलग-अलग मेजरमेंट देते जिसके कारण मोल्ड्स में बदलाव करने पड़ते थे. मार्केट में बिल्डर्स को हमारे प्रोडक्ट के इस्तेमाल के लिए मनाना काफी मुश्किल साबित हुआ.” उन्होंने कहा कि पारंपरिक उत्पादों की जगह प्लास्टिक की शटरिंग के इस्तेमाल के लिए लोगों को मनाना जब बहुत जटिल हो गया तो कंपनी छोटे कॉन्ट्रेक्टर्स से हटकर बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों जैसे एलएंडटी, की ओर चली गई. इससे कंपनी को काफी मदद मिली. इसके बाद कंपनी ने अपना कस्टमर डायवर्सिफाई किया जिससे कंपनी के सामने जो वित्त की समस्या आ रही थी वह कम हो गई.

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