सोना तपकर बन जाता है कुंदन, पर ये कुंदन आखिर है क्या? कोई चीज है या सिर्फ मुहावरों में कहा जाने वाला शब्द
आपने भी कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि सोना तपने के बाद ही कुंदन बनता है. लेकिन, कभी कुंदन धातु देखी है क्या. आखिर इस धातु का इस्तेमाल कहां होता है ये कोई धातु है भी या सिर्फ मुहावरों में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द भर है. इस सवाल का जवाब लेने के लिए जब हमने रत्न और आभूषणों के जानकारों से बात की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. आप भी इसके बारे में जानकर चौंक जाएंगे और हमेशा के लिए आपकी कंफ्यूजन भी आज समाप्त हो जाएगी ।
दरअसल, कुछ लोगों का मानना है कि सोने को जब तपाया जाता है तो उसका सबसे शुद्ध रूप सामने आ जाता है और इसी शुद्ध या परिष्कृत रूप को ही कुंदन कहा जाता है. यह बात सही है, लेकिन कुंदन नाम से भारत में स्टोन भी होते हैं. पुराने जमाने की ज्वैलरी में इस तरह के स्टोन का इस्तेमाल होता था. खासकर राजस्थान और गुजरात के राजाओं की ज्वैलरी इसी से बनाई जाती थी. गौरतलब है कि आलिया भट्ट ने भी अपनी शादी में कुंदन की ज्वैलरी पहनी थी.
क्या इसकी सच्चाई
इस बारे में हमने कूंचा महाजनी दिल्ली के बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के महासचिव योगेश सिंघल से पूछा तो उन्होंने कहा, ‘कुंदन सोने का ही शुद्ध रूप है.’ जी आपने बिलकुल सही पढ़ा. कुंदन सोने को पिघलाकर इसके परिष्कृत और शुद्ध रूप से बनाया जाता है. जो आभूषण कुंदन की कारीगरी से बनाए जाते हैं, उसमें 24 कैरट गोल्ड का ही इस्तेमाल किया जाता है.
फिर आखिर कुंदन क्या है
योगेश सिंघल बताते हैं कि कुंदन एक प्रकार का जेम स्टोन भी होता है, जिसे लाख की मदद से सोने की पट्टी पर चिपकाकर आभूषण बनाए जाते हैं. सोने की जिस पट्टी पर यह चिपकाया जाता है यानी जोड़ा जाता है, वह 24 कैरेट वाली होती है, ताकि इसका जोड़ मजबूत रहे और आभूषण भी लचीला बनाया जा सके. कुंदन का आभूषण लचीला इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि यह काफी भारी होता है और कठोर होने पर उसके टूटने का जोखिम रहता है. सोने की यह पट्टी भी गलाकर शुद्ध रूप से बनाई जाती है, जिसे कुंदन कहा जाता है.
भारत में पुराना है इसका इतिहास
कुंदन का इतिहास भारत में काफी पुराना है. यहां पुराने राजे-महाराजाओं के आभूषणों में कुंदन का इस्तेमाल होता था. इस तरह के आभूषणों को जडायू ज्वैलरी कहा जाता है. भारत में इसका इतिहास करीब 2,500 साल पुराना है. कुंदन के आभूषण में सिर्फ 24 कैरेट गोल्ड का ही इस्तेमाल होता है, क्योंकि इस पर वैक्स की मदद से कुंदन के स्टोन को चिपकाया यानी फिट किया जाता है.