Kulhad Selling Business Idea : अक्सर कहा जाता है कि बिजनेस शुरू करने के लिए जेब भारी होनी चाहिए। यह बात काफी हद तक सही भी है लेकिन हर बिजनेस के लिए नहीं। ऐसे कई बिजनेस हैं जिन्हें छोटे स्तर पर शुरू किया जा सकता है। इन्हीं में एक है कुल्हड़ का बिजनेस। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा रकम की जरूरत नहीं पड़ती। आप इसे मात्र 8 हजार रुपये में भी शुरू कर सकते हैं। कुल्हड़ के बिजनेस को दो तरह से शुरू किया जा सकता है। पहला कुल्हड़ बनाकर यानी मैन्युफैक्चरिंग करके। वहीं दूसरा तरीका सर्विस से जुड़ा है। इसमें आपको कुल्हड़ बनाने नहीं हैं। सिर्फ उन्हें बनाने वालों से खरीदना है और आगे बेचना है। हम आपको जो तरीका बता रहे हैं, वह दूसरा वाला है। आपको कुल्हड़ बनाने वालों से कुल्हड़ खरीदकर दुकानदारों को बेचने हैं। इसके लिए आपको न तो किसी प्राइम लोकेशन की जरूरत है और न ही बहुत बड़े स्पेस की। जरूरत है तो एक व्हीकल की, जिसमें आप कुल्हड़ की क्रेट रखकर दुकानदार को देने जा सकें। कुल्डड़ का बिजनेस 8 हजार रुपये से शुरू कर सकते हैं। कैसे होगी 40 से 50 हजार रुपये की कमाई? जिन कुल्हड़ में हम दुकान पर चाय पीते हैं, उसे थोक में 70 से 80 पैसे में खरीदा जा सकता है। अगर मान लें एक कुल्हड़ की थोक में कीमत 80 पैसे है तो आपको 10 हजार कुल्हड़ खरीदने होंगे जो 8 हजार रुपये के आएंगे। दुकान पर जब हम डिस्पोजल कप में चाय पीते हैं तो दुकानदार 10 रुपये की देता है। वहीं कुल्हड़ में उसी चाय को 15 रुपये की बेचता है। इस प्रकार वह कुल्हड़ के 5 रुपये लेता है। अगर आप दुकानदार को वह कुल्हड़ 2 रुपये में बेचें, तो आपको एक कुल्हड़ पर 1.20 रुपये बच गए। अगर आप पूरे 10 हजार कुल्हड़ बेच देते हैं तो आपको 12 हजार रुपये का मुनाफा हो गया। अगर 2 हजार रुपये दूसरे खर्चे ( कुल्हड़ बेचने जाने का किराया, पेट्रोल आदि) निकाल दें तो 10 हजार रुपये आराम से बच गए। अगर आप महीने के 40 से 50 हजार रुपये कुल्हड़ बेच देते हैं तो आपको इतने ही रुपये यानी 40 से 50 हजार रुपये बच जाएंगे। अगर बिक्री ज्यादा होती है तो इनकम भी ज्यादा हो होगी। कहां बेचें कुल्हड़ यह बिजनेस शुरू करने के लिए पहले आपको ऐसे दुकानदार तलाशने होंगे जहां आप कुल्हड़ बेच पाओ। इसके लिए ऐसे चाय वाले तलाशें जहां चाय की ज्यादा बिक्री होती है। हो सकता है कि आपके आसपास ही ऐसे चाय वाले मिल जाएं। साथ ही रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, होटल, ढाबा आदि में बात करके भी उनसे डील कर सकते हैं। इस काम को आप ऑफिस के बाद शाम को भी कर सकते हैं। आपको बस इन जगहों पर जाकर बात करनी है। डील पक्की हो जाए तो कुल्हड़ को उस जगह डिलीवर करना है। इसमें बहुत ज्यादा समय नहीं लगता। दूसरी चीजों के कुल्हड़ पर भी करें फोकस अभी गर्मियां हैं। इस मौसम में चाय की बिक्री कुछ कम हो जाती है। ऐसे में हो सकता है कि कुल्हड़ की बिक्री बहुत ज्यादा न हो। लेकिन इस समय लस्सी, छाछ आदि की बिक्री बढ़ जाती है। ऐसे में आप मिट्टी के गिलास भी बेच सकते हैं। मिट्टी के बड़े कुल्हड़ भी बेच सकते हैं जिनमें दुकानदार गर्म-गर्म दूध बेचते हैं। इन्हें बेचकर भी आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

Rajasthan News: राजस्थान में स्वास्थ्य के क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है. प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अब तकनीकी सुविधाएं भी विकसित होती जा रही हैं. इसी कड़ी में अब उदयपुर (Udaipur) में 20 लाख रुपये तक के खर्च वाले ब्रेन ट्यूमर का इलाज भी निशुल्क होगा.

साथ ही ये इलाज बिना चीर-फाड़ के होगा. अब तक यह तकनीक केवल जयपुर में ही थी. खास बात यह है कि इस नई तकनीक से अब तक चार मरीजों का इलाज भी गया है. उदयपुर के रविंद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज ने संचालित राजकीय महाराणा भूपाल चिकित्सालय (सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक) में अब ब्रेन ट्यूमर का यह इलाज होगा.

उदयपुर के सुपर स्पेशलिटी में पहली बार न्यूरो इंटरवेंशन तकनीति से उपचार हो रहा है. इसमें बिना चीर फाड़ किए ब्रेन ट्यूमर और सबड्यूरल हेमटोमा से ग्रस्त रोगियों का इलाज होगा. इसकी वजह से अब उदयपुर का यह हॉस्पिटल प्रदेश के उन चुनिंदा हॉस्पिटल में शामिल हो गया है, जहां ब्रेन स्टॉक, स्टिनोसिसी, रक्तवहिनियों के गुच्छे जैसी बीमारियों का आधुनिक तकनीक से निशुल्क उपचार हो रहा है. फिलहाल यह सुविधा जोधपुर और बीकानेर में भी है, लेकिन विषय विशेषज्ञों की कमी के कारण जयपुर के अलावा यह इलाज कहीं और नहीं हो पा रहा है.

पहले दिन चार मरीजों का हुआ इलाज
बता दें उदयपुर में न्यूरो इंटरवेंशन की शुरुआत स्विट्जरलैंड के डॉक्टर शाकिर हुसैन हाकिम ने की. इन्होंने शुक्रवार (3 मई) को पहले दिन चार मरीजों का इलाज किया. शाकिर हुसैन उदयपुर के ही रविंद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज से पास आउट हैं. इन्होंने अब तक 25 साल में इन पद्धतियों से लाखों लोगों का इलाज कर उनकी जिंदगियां बचाई है.

वहीं अब कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ केजी लौधा भी स्विट्जरलैंड से डेढ़ साल में सीखकर डिग्री लेकर वापस लौटे हैं. अब वह भी उदयपुर में ही सेवाएं देंगे. हॉस्पिटल के प्रिंसिपल विपिन माथुर ने बताया अब उदयपुर में इस इलाज से कई लोगों को फायदा मिलेगा.

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