सरकार ख़त्म करना चाहती है Google Pay और PhonePe का दबदबा! जानें क्या है नया प्लान

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए यूपीआई आजकल बहुत फेमस हो गया है. भारत में सबसे ज्यादा गूगल पे (PhonePe) और फ़ोन पे (Google Pay) का दबदबा बना हुआ है. लेकिन भारत सरकार अब इनका दबदबा कम करने के लिए नया प्लान बना रही है. देश के यूपीआई पेमेंट मार्केट (UPI Payment Market) में गूगल पे और फ़ोन का करीब 80 फीसद कब्जा बना हुआ है. पेटीएम के खिलाफ की गई कार्रवाई से फोन पे और गूगल पे के शेयर में वृद्धि होने की संभावना है. जिसे लेकर सरकार सतर्क हो गई.

महीने में होता है कई बिलियन का लेनदेन

फोन पे और गूगल पे दोनों ही अमेरिका की टेक कंपनियां हैं. इसलिए सरकार चाहती है कि भारतीय यूपीआई मार्केट में इन दोनों UPI कंपनियों का कब्जा कम किया जाए. जिसके लिए सरकार एक नया प्लान बना रही है. हर महीने भारत में ही यूपीआई लेनदेन 10 बिलियन से ज्यादा होता है.

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया कुछ कंपनियों का कब्जा नहीं चाहती. इसके लिए यूपीआई पेमेंट सर्विस को 30 फीसद तक सीमित किया जाएगा. जिसका असर ही एल्फाबेट की गूगल पे और वॉलमार्ट बैक्ड फोनपे पर ज्यादा असर पड़ेगा.कुछ समय पहले ही घरेलू फिनटेक फर्म को सपोर्ट करने की संसदीय पैनल ने मांग की थी. ताकि गूगल पे और फोन पे के दबदबे को कम कर सके. ये प्रस्ताव पेटीएम के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद लिया गया. साल 2016 में रियल टाइम डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई को लॉन्च किया गया. यूपीआई के जरिये भुगतान करने के लिए लगभग 500 बैंक जुड़े हुए हैं. हर महीने लगभग 70 मिलियन से ज्यादा मर्चेंट 10 बिलियन ट्रांजेक्शन करते हैं.

आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट बैंक के बाद वीजा और मास्टरकार्ड के जरिये व्यावसायिक भुगतान पर भी रोक लगा दी. व्यवसायिक कार्ड के जरिये बड़े वेंडर छोटे कारोबारियों को भुगतान करते हैं. कहा जा रहा है कि ये कार्रवाई केवाईसी नियमों का पालन नहीं करने के कारण हुई है.

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