Grandfather’s property: दादा की संपत्ति पर पोते का कितना होता है हक, जानिए कानूनी प्रावधान
संपत्ति को लेकर स्पष्ट कानून होने के बावजूद देश की अदालतों में इसके विवाद से जुड़े लाखों मामले पेंडिंग हैं. यह इतना पेचीदा होता है कि सालों तक ऐसे मामले सुलझते नहीं हैं. ऐसे में सही तरीका यही है कि परिवार के बड़े लोगों को समय रहते सही तरीके से संपत्ति का बंटवारा कर देना चाहिए.
अक्सर दादा और पोते के बीच संपत्ति को लेकर विवाद फंस जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर दादा की संपत्ति पर पोते का कितना हक होता है और किस तरह की संपत्ति पर अपना हक जमा सकता है.
अक्सर यह सवाल उन परिस्थितियों में उठता है जब कोई व्यक्ति अपने पीछे वसीयत नहीं छोड़ता है. यहां सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि एक पोते का अपने दादाजी की स्व-अर्जित संपत्ति पर कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है.
हां, पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में पोते का जन्मसिद्ध अधिकार होता है यानी जन्म के साथ ही वह ऐसी संपत्ति जो उसके दादा को उसके पूर्वजों से मिली है, उसमें उसका हिस्सा पक्का हो जाता है.
लेकिन, दादा की मृत्यु होते ही उसे उसका हिस्सा नहीं मिलता. अगर दादा ने संपत्ति खुद खरीदी है तो वह ऐसी संपत्ति को किसी को भी दे सकता है और पोता दादा के फैसले को चुनौती नहीं दे सकता.
क्या पोते को मिलेगी संपत्ति?
अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत किए मर जाता है तो उसकी स्व-अर्जित संपत्ति पर केवल उसके तत्काल कानूनी वारिस अर्थात् उनकी पत्नी, पुत्र और बेटी को ही पीछे छोड़ी गई संपत्ति मिलेगी. पोते को कोई हिस्सा नहीं मिलेगा.
मृतक की पत्नी, पुत्र और पुत्रियों द्वारा विरासत में मिली संपत्ति को उनकी निजी संपत्ति के रूप में माना जाएगा और उस संपत्ति में किसी भी अन्य को हिस्से का दावा करने का अधिकार नहीं होगा.
यदि दादा की मृत्यु के पहले उनके किसी भी बेटे या बेटी की मृत्यु हो गई है तो मृतक बेटे या बेटी के कानूनी उत्तराधिकारी को वह हिस्सा मिल जाएगा जो पहले पुत्र या पुत्री को मिलना था.
इससे साफ है कि अगर किसी व्यक्ति के दादा की मौत हो जाती है तो दादा की संपत्ति सबसे पहले उसके पिता को ही मिलेगी, उसे नहीं. इसके बाद पिता से उसे अपना हिस्सा मिलेगा. हां, अगर दादा की मौत से पहले किसी व्यक्ति के पिता की मौत हो जाए तो फिर उसे सीधे दादा की संपत्ति में हिस्सा मिल जाएगा.
पैतृक संपत्ति पर अधिकार
पैतृक संपत्ति पर पोते का जन्मसिद्ध अधिकार होता है. इसको लेकर किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में वह दीवानी न्यायालय में जा सकता है. वह इस संपत्ति का ठीक वैसे ही हकदार होता है जैसे पिता या दादा अपने पूर्वजों से मिली पैतृक संपत्ति के हकदार होते हैं.
लेकिन, दादा की मौत होने पर पैतृक संपत्ति भी पोते को नहीं मिलेगी, बल्कि उसके पिता को मिलेगी. पिता से ही उसे उसका हिस्सा मिलेगा. अगर पिता पैतृक संपत्ति में से हिस्सा देने से इंकार करे तो वह कोर्ट जा सकता है.