ज्ञानवापी ASI सर्वे पर इस मुस्लिम स्कॉलर ने जो कहा, भावना भड़काने वालों को सुनना चाहिए, टुकड़े गैंग से की तुलना

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मशहूर इस्लामिक स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हुए एएसआई के सर्वे पर बेबाक राय रखी है। कारी अबरार जमाल का कहना है कि जो लोग कोर्ट और सरकारी एजेंसियों पर सवाल उठाते हैं, साफ-साफ क्यों नहीं कहते वह इस देश के टुकड़े करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि टुकड़े- टुकड़े गैंग के कारण ही पहले अफगानिस्तान अलग हुआ। फिर पाकिस्तान और उसके बाद बांग्लादेश भी पाकिस्तान से अलग हो गया। अब यह लोग इस देश को भी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

कारी अबरार ने कहा कि धार्मिक मामलों को लेकर आरएसएस के सबसे बड़े सर्वेसर्वा मोहन भागवत जी ने कहा है कि हिंदुओं को बड़ा दिल करते हुए हरेक मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए। यही बात मुसलमानों पर भी लागू होती है। अगर किसी भी धार्मिक स्थल पर विवाद है तो हिंदू और मुसलमान आपस में मिलकर बड़ा दिल दिखाएं। आपसी बातचीत से विवाद का निपटारा करें।

कोर्ट के आदेश का करें सम्मान

निवार को मीडिया कर्मियों से रूबरू हुए जमीयत हिमायतुल इस्लाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा मुस्लिम स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने ज्ञानवापी मस्जिद पर की रिपोर्ट के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि देखिए जिस वक्त ज्ञानवापी का ममला छिड़ा था। उस समय मुस्लिम समुदाय भी कोर्ट में गया।कोर्ट के आदेश पर ही एएसआई सर्वे हुआ है। कोर्ट का आदेश सबको मानना चाहिए।

मुस्लिम स्कॉलर ने कहा कि अगर उस सर्वे को हम लोग नहीं मान सकते तो साफ तौर पर उसका विरोध करना चाहिए। हमें कह देना चाहिए कि अब हमें देश की अदालतों पर भरोसा नहीं रहा है। अब हम अलग से अपनी एक अदालत बनाना चाहते हैं। अब हम देश के टुकड़े करना चाहते हैं। अपना अलग से एक देश कायम करना चाहते हैं।कारी अबरार ने कहा कि जिस तरह पहले अफगानिस्तान अलग देश बना। उसके बाद पाकिस्तान अलग हुआ और उसी में से बांग्लादेश बना। इसी तरह अगर टुकड़े- टुकड़े गैंग यह चाहता है कि देश की अदालत पर मुसलमान भरोसा न करें। एएसआई की रिपोर्ट को न माने। फिर वह टुकड़े-टुकड़े गैंग साफ तौर पर सामने आकर अपना चेहरा तो दिखाएं। ऐसे चेहरों का पर्दाफाश हो। मुस्लिम समुदाय भी जान सके और पूरी दुनिया देख सके कि यह लोग नहीं चाहते देश में अमानो– सलामती रहे

एजेंसी पर सवाल उठाने वालों पर निशाना

सरकारी एजेंसी पर उठ रहे सवाल को लेकर मुस्लिम स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने कहा कि सवाल का मसला तो कहीं तक नहीं बनता। कारी अबरार जमाल ने कहा कि आप देखिए सरकारी एजेंसी कोई भी हो। चुनाव आयोग पर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं। इसी आयोग की ओर से अगर कर्नाटक और हिमाचल में चुनाव कराने पर कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह इसे न्याय की जीत बताते हैं। यह कांग्रेस की जीत है। यह मोहब्बत की दुकान नफरत पर भारी पड़ी है। लेकिन, उसी चुनाव आयोग और ईवीएम मशीन अन्य राज्यों में अगर यह चुनाव हार जाते हैं, तो चुनाव में गड़बड़ी का इल्जाम लगाते हैं।

कारी अबरार ने कहा कि ये दोगलेपन की बात हमारी समझ में नहीं आती है। इन लोगों को समझ लेना चाहिए कि हमेशा हर इंसान को देश की अदालतों और एजेंसियों पर भरोसा रखना चाहिए। जब देश की एजेंसीयों से इन्हें इंसाफ मिलता है तो यह कहते हैं कि न्याय की जीत हुई है। वही एजेंसियां कोई और फैसला सुनाती है तो यह लोग बोलते हैं कि एजेंसियों को खरीद लिया गया।

मिलजुल कर निपटाएं विवाद

ज्ञानवापी के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों पर चल रहे विवाद के सवाल पर मुस्लिम स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने कहा कि में उन लोगों से भी रिक्वेस्ट करता हूं। सनातन धर्म के इस वक्त के सबसे बड़े राष्ट्रवादी आरएसएस के सरसंघ संचालक मोहन भागवत जी ने भी कहा है कि सनातनियों को हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए। इसको जहन में रखते हुए उन लोगों को भी अमानो सलामती के साथ काम लेना चाहिए। सनातनियो को भी हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए। हां जहां –जहां उनको लगता है कि हमारे साथ नाइंसाफी हुई है उन मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात करनी चाहिए। मुस्लिम समुदाय से और सनातन समुदाय से कुछ लोग आगे आए और बड़ा दिल दिखाएं। इस पर बैठकर के मंथन करे और इस मामले को निपटने की कोशिश करें।

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