यहां चाव से खाया जाता है ये बरसाती कीड़ा, भूंजा संग फांकते हैं आदिवासी, बारिश होते ही पकड़ने की मच जाती है होड़
भारत में हर राज्य की पहचान उनके यूनिक डिश की वजह से होती है. कहीं के कढ़ी चावल मशहूर हैं तो कहीं के मसाले उसकी पहचान है. लेकिन ऐसी भी कुछ जगहें हैं, जो अपने अजीबोगरीब खानपान की वजह से चर्चा में आ जाते हैं. कुछ समय पहले ओडिशा की लाल चींटी की चटनी के बारे में हमने आपको बताया था. इसे छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी खाया जाता है. आज हम आपको छोटा नागपुर के एक और ऐसे ही पारंपरिक डिश के बारे में बताने जा रहे हैं.
जिस डिश की हम बात कर रहे हैं, उसे कहते हैं उफिया. कई लोग इस डिश के बारे में नहीं जानते. इसे अजीबोगरीब होने का कारण है इसमें इस्तेमाल किया गया इंग्रीडिएंट. जी हां, उफिया बनाने के लिए बरसाती कीड़े का इस्तेमाल किया जाता है. हां, वही कीड़ा, जो बारिश होते ही लाइट्स के आसपास उड़ने लगते हैं. इसे ही भूनकर बनाया जाता है ये मशहूर डिश.
ऐसे होता है तैयार
सोशल मीडिया पर एक शख्स ने उफिया बनाने का वीडियो शेयर किया. ठंड के इस मौसम में कई इलाकों में बारिश भी देखने को मिली. शख्स के घर के पास जब इस ठंडी में बारिश हुई तो लाइट्स के आसपास उसे ये कीड़े दिखे. इन्हें ही पकड़कर उसने उफिया बना डाला. इस डिश को बनाने के लिए उसने सारे कीड़ों को पहले पानी से धोया. उसके बाद इन्हें आग में भून दिया.
दो बार होता है रोस्ट
शख्स ने बताया कि इन कीड़ों को दो बार रोस्ट करना होता है. एक बार में इसके पंख अलग होते हैं जबकि दूसरी बार में ये कीड़ा अच्छे से पक जाता है. कीड़े को रोस्ट करने के बाद इसे चावल से बने भूंजे के साथ मिलाया जाता है. शख्स ने ना सिर्फ उफिया बनाया बल्कि इसे अपने परिवार के साथ भी खाया. वैसे तो उफिया सिर्फ बारिश के मौसम में ही खाया जाता है लेकिन जनवरी में हुई बारिश की वजह से झारखंडी इसे इस बार ठंड में भी खा पाए.