हाईकोर्ट ने कहा : आपराधिक इतिहास के आधार पर जमानत से इन्कार नहीं किया जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उसका आपराधिक इतिहास रहा है। जब सह अभियुक्तों को जमानत मिल गई है तो उसे भी समानता के आधार पर जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में गबन के आरोपी बैंककर्मी ने जमानत के लिए अपील की थी। हाईकोर्ट ने जमानतअर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि आपराधिक इतिहास के आधार पर जमानत से इन्कार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति श्रीमती मंजू रानी चौहान की कोर्ट ने फैसला सुनाया। याची अधिवक्ता मिथिलेश कुमार तिवारी ने पक्ष रखा।
मामले में याची पुनीत वर्मा सहायक मैनेजर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया क्वार्सी, अलीगढ़ में कार्यरत था। इस दौरान 4 मार्च 2023 को सरोज देवी पत्नी मुरारीलाल निवासी कुन्दन नगर, गांधीपार्क ने बैंक में एक लाख रुपये की एफडी किया। बाद में संदेह होने पर सरोज देवी ने बैंक में एफडी से संबंधित जानकारी की तो पता चला कि बैंक में एफडी से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है।
इस मामले में बैंककर्मी अमरजीत शाखा प्रबंधक, सौरभ गुप्ता, नीरारानी और पुनीत वर्मा पर क्वार्सी थाने में गबन सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया। याची अधिवक्ता ने कहा सह-अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। समानता के आधार पर याची भी जमानत का हकदार है।