Home Loan : होम लोन की EMI न चुकाने पर बैंक करेगा सख्त कार्रवाई, लोनधारक जरूर जान लें ये बात

आज की तारीख में घर खरीदना थोड़ा आसाान हो गया है, ये आसान होम लोन ने किया है। खासकर बड़े शहरों में लोग होम लोन (Home Loan) लेकर सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं। क्योंकि नौकरी-पेशा लोगों को आसानी से लोन मिल जाते हैं। हालांकि अब छोटे शहरों में भी तेजी फ्लैट ( home loan for flat) कल्चर बढ़ रहा है।

लेकिन कई बार ग्राहक होम लोन (Home Loan) की EMI समय पर नहीं चुका पाते हैं। खासकर नौकरी छूटने या फिर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में EMI (Home loan EMI) भरने से चूक जाते हैं। क्या आपको पता है होम लोन की EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है?

कितनी EMI तक बैंक इंतजार करता है और फिर क्या एक्शन लेता है? दरअसल, होम लोन (Home Loan EMI Calculator) को सिक्‍योर लोन की कैटेगरी में रखा जाता है, इसलिए इसके बदले ग्राहक (Home loan EMI kya hai) को गारंटी के तौर पर बैंक के पास किसी संपत्ति को गिरवी रखना होता है।

बैंक सबसे पहले करता है ये काम

अब आइए जानते हैं, होम लोन नहीं चुकाने पर RBI की गाइडलाइंस क्या है। अगर कोई ग्राहक होम लोन की पहली किस्त नहीं चुकाता है तो बैंक या वित्तीय संस्थान (RBI guidelines for home loan) उसे गंभीरता से नहीं लेता है।

बैंक को लगता है कि किसी कारणवश एक EMI में देरी हो रही है। लेकिन जब ग्राहक लगातार दो EMI नहीं भरता है, तो बैंक सबसे पहले एक रिमाइंडर (EMI reminder kya hai) भेजता है। इसके बाद भी ग्राहक तीसरी EMI की किस्त भुगतान करने में असफल रहता है तो बैंक फिर लोन चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है।

एक तरह से तीसरी EMI नहीं चुकाने के साथ बैंक कार्रवाई के मू़ड में आ जाता है। अगर कानूनी नोटिस के बाद लोन नहीं चुकाता है तो फिर बैंक ग्राहक को डिफॉल्टर (Loan defaulter notice)  घोषित कर देता है।

साथ ही बैंक लोन अकाउंट को NPA मान लेता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिन की होती है। इस समय सीमा के बाद बैंक वसूली प्रक्रिया (Loan defaulter notice ka jawab)  के बारे में सोचने लगता है।

RBI की गाइंडलाइस

सिक्‍योर्ड लोन में प्रॉपर्टी को गिरवी रखा जाता है, ताकि लोन न चुकाने पर बैंक उस प्रॉपर्टी को बेचकर लोन की भरपाई कर सके। हालांकि बैंक की तरफ से ये आखिरी विकल्प होता है।

RBI की गाइंडलाइस के मुताबिक ग्राहक लोन (RBI guidelines for loan defaulters) को चुकाने के लिए काफी समय दिया जाता है। बैंक के पास अपने पैसे वापस लेने के लिए कानूनी तौर पर आखिरी विकल्प नीलामी होता है। नीलामी से मिली राशि को लोन की रकम की भरपाई की जाती है।

मौटे तौर पर बैंक तीन महीने की ईएमआई (loan EMI kya hai) नहीं चुकाने के बाद ग्राहक को दो महीने का और वक्त देता है। अगर ग्राहक इसमें भी चूक जाते हैं, तो बैंक ग्राहक संपत्ति के अनुमानित मूल्य के साथ नीलामी नोटिस भेजता है।

अगर ग्राहक नीलामी की (loan collateral kya hai) तारीख से पहले यानी नीलामी नोटिस मिलने के एक महीने बाद भी किश्त नहीं भरता है तो बैंक नीलामी औपचारिकताओं के साथ आगे बढ़ता है।

हालांकि इन 6 महीने के भीतर ग्राहक किसी भी समय बैंक से संपर्क कर बकाया राशि का भुगतान कर मामले को सुलझा सकता है।  समय पर लोन नहीं चुकाने से सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि बैंक ग्राहक को डिफॉल्डर घोषित कर देता है।

जिससे ग्राहक का सिबिल/क्रेडिट स्कोर (CIBIL score kya hai) खराब हो जाता है। सिबिल स्कोर खराब होने से भविष्य में किसी भी तरह के लोन मिलने में परेशानी होती है।

EMI नहीं चुका पाने पर क्या करें?

अगर किसी के साथ ऐसी स्थिति आती है, यानी EMI चुकाने में असफल रहते हैं तो इसके लिए भी कुछ उपाय हैं। ग्राहक ने जिस बैंक से होम लोन लिया है, वहां संपर्क करके अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं के आधार पर होम लोन पुनर्गठित करने के तरीकों पर चर्चा (loan defaulter ki kya saja hai) कर सकते हैं। ग्राहक बैंक को अपनी परेशानी बता सकता है.

साथ ही दस्तावेज सौंप सकते हैं। लोन का पुनर्गठन से कुछ महीनों तक EMI टालने या ईएमआई की राशि कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि ऐसे मामले में होम लोन की टेन्योर बढ़ जाएगा।

इसके अलावा इसका सीधा हल ये है कि होम लोन की EMI को हरसंभव समय पर चुकाने की कोशिश करें। इसके लिए कोई फिक्स्ड डिपॉजिट है तो उसे तोड़ दें। कहीं भी निवेश है तो उसे निकाल EMI भर दें। इसके लिए परिवार या दोस्तों से उधार भी ले सकते हैं और बाद में अपनी सुविधा के अनुसार वापस कर सकते हैं।

रिकवरी एजेंट धमकी दे तो क्या करें

लोन नहीं चुकाने पाने से वित्तीय संस्थाओं की ओर से रिकवरी एजेंट को भेजकर ग्राहक पर दबाव बनाया जाता है। उसे डराया-धमकाया भी जाता है। देशभर में रिकवरी एजेंट्स की मनमानी के कई मामले सामने आते रहते हैं।

अगर आपको भी होम लोन चुकाने को लेकर रिकवरी एजेंट (Loan recovery agent se kaise bache) परेशान करे तो आप सीधे पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।

क्योंकि लोन की किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है, इसलिए डिफॉल्टर के साथ कोई मनमानी नहीं की जा सकती है। इसके अलावा आप को RBI को भी लिखित शिकायत दे सकते हैं।

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