MDH और Everest मसालों में मिलने वाला एथिलीन ऑक्साइड कैसे पैदा करता है कैंसर का खतरा? डॉक्टर से समझें

हाल ही में हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में फूड रेगुलेटर ने MDH और एवरेस्ट के चार मसालों को लेकर चेतावनी जारी करने के बाद इन्हें बैन कर दिया गया. इन प्रोडक्ट्स में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की ज्यादा मात्रा होने के चलते इन्हें बैन किया गया था.

बताते हैं कि इस पेस्टिसाइड की ज्यादा मात्रा से कैंसर होने का खतरा हो सकता है. इसके बाद अब भारत सरकार ने फूड कमिश्नर्स से सभी कंपनियों के मसालों का सैंपल कलेक्ट करने को कहा है, जिसके बाद लोगों में चिंता बढ़ गई है. आज हम अपने लेख में डॉ. दिनेश सिंह, चेयरमैन – रेडिएशन ऑन्कोलॉजी , एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल सोनीपत से जानेंगे कि एथिलीन ऑक्साइड कैसे कैंसर का खतरा पैदा करता है.

डॉ. दिनेश सिंह ने बताया कि एथिलीन ऑक्साइड एक दवाई है जो कीटों को मारने के लिए इस्तेमाल की जाती है, खासकर खेती में. यह गैस रसायनिक उत्पादों के निर्माण में भी काम आती है, जैसे एंटीफ्रीज, कपड़े, प्लास्टिक, डिटर्जेंट और चिपकने वाले उत्पादों के लिए. इसके साथ ही, इसे मेडिकल इक्विपमेंट्स को स्टरलाइज करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

एथिलीन ऑक्साइड एक केमिकल है जो फ़ूड इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है ताकि मसालो और कुछ प्रकार के अनाज को सुरक्षित रखा जा सके. स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान यह उन प्रोडक्ट्स की शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है पर कुछ रेगुलेटरी अथॉरिटी जैसे की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने इसे एक पोटेंशियल कार्सिनोजेन (potential carcinogen ) कैंसर के कारण के रूप में क्लासिफाइड करते हैं. हालांकि भारत में फूड आइटम्स में एथिलीन ऑक्साइड के इस्तेमाल पर बैन है.

कैंसर का कारण बनता है एथिलीन ऑक्साइड-

एथिलीन ऑक्साइड कैंसर का कारण बनता है क्योंकि यह डीएनए को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है. एथिलीन ऑक्साइड आसानी से डीएनए मोलेक्यूल्स के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे डीएनए एडल्ट्स बनते हैं. ये बदलाव DNA के अनुक्रम में होते हैं और DNA के सामान्य काम में बाधा डालते हैं और म्यूटेशन का कारण बन सकते हैं, जो कैंसर के उत्पन्न होने का कारण बन सकते हैं.

हो सकते हैं ये नुकसान-

खाने-पीने की वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड का प्रयोग किया गया है. इसे अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है. लिम्फोइड कैंसर और स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, इसका इस्तेमाल लिंफोमा और ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियां भी उत्पन्न कर सकता है. इसके अलावा, यह आंखों, त्वचा, नाक, गले और फेफड़ों में जलन या चोट पहुंचा सकता है.

एथिलीन ऑक्साइड दूसरे प्रकार के डीएनए को भी डैमेज कर सकता है, जैसे कि डीएनए धागे के टूटना और क्रॉस-लिंकिंग, जो कैंसर के अवसरों को और बढ़ाता है. विभिन्न नियामक संस्थाओं जैसे कि यूएस एफडीए और यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी (ईएफएसए) ने अधिकतम शेष निर्धारित किया है ताकि इसका इस्तेमाल नियंत्रित हो और लोगों के स्वास्थ्य को खतरा ना हो.

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