नौकरी की चाहत में गया था रूस, 24 घंटे में टूटा बचपन का सपना, वापसी में खुला असल राज, और फिर…
मास्को से एयरफ्लोट की फ्लाइट एसयू-232 से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे फारुख खान को 24 घंटे के भीतर रूस से डिपोर्ट कर दिया गया था. दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने के बाद फारुख खान के खुलासों ने सुरक्षा एजेंसियों को भी हैरत में डाल दिया. दरअसल, फारुख खान को रूस से डिपोर्ट किए जाने के बाद इमीग्रेशन ब्यूरो को सौंप दिया गया था. इमीग्रेशन ब्यूरो ने अपनी जांच में पाया कि आरोपी फारुख खान मूल रूप से बांग्लादेश का नागरिक है और वह घुसपैठ करके भारत आया था. इस खुलासे के बाद इस मामले की जांच का पूरा रुख बदल गया.
इमीग्रेशन ब्यूरो ने प्रारंभिक पूछताछ में सामने आए तथ्यों के साथ फारुख को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419/420/468/471 और पासपोर्ट एक्ट की धारा 14 के तहत मामला दर्ज जांच शुरू कर दी. पूछताछ में फारुख ने बताया कि मेघालय के रास्ते घुसपैठ करने के बाद वह लंबे समय तक तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रहा. इस बीच, मुल्तानी रफीक मोहम्मद भाई नाम की मदद से आधार कार्ड और पासपोर्ट हासिल कर लिया.
डीसीपी ऊषा रंगननानी के अनुसार, रूस का वर्किंग वीजा मिलने के बाद वह अपने इन दस्तावेजों की मदद से मॉस्को पहुंच गया. वहीं, मॉस्को एयरपोर्ट पर जांच के दौरान, उसका वर्किंग वीजा फर्जी पाया गया और उसे दिल्ली एयरपोर्ट के लिए डिपोर्ट कर दिया गया. वहीं, आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने आरोपी फारुख के खुलासे के आधार पर मास्टर माइंड मुल्तानी रफीक मोहम्मद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी गई. आरोपी की तलाश के लिए एसएचओ विजेंद्र राणा के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया.