कर्नाटक में साइनबोर्ड का 60 फीसदी हिस्सा कन्नड़ में लिखना अनिवार्य, विरोध के बाद सीएम सिद्धारमैया का फरमान

कन्नड़ में साइनबोर्ड नहीं लिखने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कर्नाटक रक्षणा वेदिके के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद कन्नड़ समर्थक संगठन राज्य सरकार के खिलाफ भड़क उठे हैं. इसके तुरंत बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अचानक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि साइनबोर्ड का 60 फीसदी हिस्सा कन्नड़ में होना चाहिए. उन्होंने कन्नड़ में बोर्ड लिखे जाने की समय सीमा तय कर दी.

उन्होंने कहा कि 28 फरवरी 2024 तक दुकानों का बोर्ड बदल दिया जाना चाहिए. विज्ञापनों में भी सरकारी नियमों का पालन होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि साल 2018 में इसे लेकर एक सर्कुलर जारी किया गया था कि साइनबोर्ड का 50 फीसदी कन्नड़ में होनी चाहिए. शेष आधा भाग किसी अन्य भाषा में होना चाहिए. अब यह नियम बनाए गये हैं कि साइनबोर्ड का 60 फीसदी हिस्सा कन्नड़ में होना चाहिए. पिछले सर्कुलर में यह 50% था. आज की बैठक में इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया गया.

कन्नड़ भाषा को लेकर कोई समझौता नहीं

सीएम ने आदेश जारी किया कि 28 फरवरी 2024 तक बोर्ड बदला जाए. विज्ञापनों में भी सरकारी नियमों का पालन होना चाहिए. यह सच है कि नियम को लागू करने में देरी हुई है. लेकिन, उन्होंने कहा कि आगे की देरी से बचने के लिए कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने कहा कि अगर विरोध करना है तो फ्रीडम पार्क में किया जाना चाहिए. इस संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर दिया है.सभी को कानून का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह जनता से अपील करते हैं कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. सभी संगठनों और उनके समर्थकों से अपील है कि अपना विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करें.

कन्नड़ कर्नाटक की संप्रभु भाषा है. इसमें कोई समझौता नहीं है. हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. हालांकि, अगर यह कानून के खिलाफ होगा तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि नियम विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

पूरे राज्य में लागू होगा नियम

इस समय, सिद्धारमैया ने साइनबोर्ड में कन्नड़ नहीं लिखे जाने के विरोध का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यदि कर्नाटक रक्षणा वेदिके ने अनुरोध दिया होता, तो पुलिस ने जवाब दिया होता. न तो मुझे और न ही गृह मंत्री को अनुरोध प्राप्त हुआ है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हमेशा कन्नड़ समर्थक हैं.

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कन्नड़ आधिकारिक भाषा है. कन्नड़ भाषा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं है. सरकारी नियमों का पालन नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई. सीएम सिद्धारमैया ने दोहराया कि यह पूरे कर्नाटक पर लागू होता है.

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