UP में ये लोग फर्जी दस्तावेज देकर उठा रहे हैं बिजली बिल में छूट का लाभ, अब होगी CBI की जांच
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एकमुश्त समाधान योजना के तहत राज्य में पहली बार बिजली चोरी के मामलों में दी जा रही 65 प्रतिशत तक की छूट के मामले में नया मोड़ सामने आया है। छोटे बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के नाम पर लाई गई इस योजना का लाभ बड़े बकायदारों को अधिक मिलेगा।
बिजली चोरी एक किलोवाट के मामले में हो या फिर 1000 किलोवाट की, सभी उपभोक्ताओं को सरकार की इस योजना का लाभ समान रूप से मिलेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस पर सवाल उठाते हुए विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की।
वर्मा ने संडीला में 3.87 करोड़ रुपये की और नोएडा में एक करोड़ रुपये के बिजली चोरी के प्रकरणों का जिक्र करते हुए आयोग से पूछा है कि इन्हें बिजली चोरी के मामले में छूट क्यों?
गरीबों के नाम पर अमीरों को छूट देने को गलत बताते हुए परिषद अध्यक्ष ने प्रदेश सरकार से इस मामले की सीबीआइ जांच कराए जाने की मांग की है।
अवधेश वर्मा ने कहा कि पांच किलोवाट से अधिक के प्रदेश में लगभग 53011 बिजली चोरी के मामले सामने आए हैं, इन पर 1250 करोड़ रुपये का राजस्व निर्धारण किया गया है। क्या पावर कारपोरेशन इन्हें भी बिजली चोरी में छूट दिए जाने के योग्य मानता है।
वर्मा के मुताबिक पावर कारपोरेशन व मध्यांचल प्रबंधन ने साफ कहा है कि बिजली चोरी में छूट सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए है, चाहे वह एक किलोवाट कनेक्श का उपभोक्ता हो या एक हजार किलोवाट का।
वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष से हस्तक्षेप की मांग की है। कहा, उपभोक्ता परिषद पहले ही आयोग में अपना विरोध प्रस्ताव दाखिल कह चुका है कि बिजली चोरों के मामले में छूट, विद्युत अधिनियम 2003 के विरुद्ध है।