दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है भारत.. प्रोपेगेंडाबाज पत्रकार को अमेरिकी प्रवक्ता ने 9 सेकंड में दिखाई औकात
India-US Relation: अमेरिकी सरकार के एक प्रवक्ता ने भारत के खिलाफ अकसर सवाल पूछने वाले प्रोपेगेंडाबाज पत्रकार की सिर्फ 9 सेकंड्स में पोल खोलकर रख दी है। एजेंडाबाज पत्रकार ने अमेरिकी सरकार से एक बार फिर से भारत में होने वाले चुनाव और लोकतंत्र को लेकर सवाल पूछा था।
जिसपर बाइडेन प्रशासन ने जोर देकर कहा है, कि भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है और कहा, कि रिश्ते की स्थिति अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में भारत में लोकसभा चुनाव से पहले प्रकाशित भारत सरकार की आलोचना वाले कुछ लेखों और राय के संदर्भ में अमेरिका-भारत संबंधों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
जिसमें बांग्लादेशी पत्रकार मुश्फिकुल फजल, जो एंटी-इंडिया सवाल पूछने के लिए कुख्यात हैं, उन्होंने एक बार फिर से भारत को लेकर निगेटिव सवाल पूछा था और सवाल में भारत सरकार की आलोचना करते हुए अमेरिका से भारत के लोकतंत्र पर सवाल पूछा था।
9 सेकंड में बांग्लादेशी पत्रकार को दिखाई औकात
बांग्लादेश पत्रकार ने कथित “भारत में लोकतांत्रिक गिरावट के बारे में चिंताओं” और कथित “विपक्ष पर कार्रवाई” के संबंध में अमेरिकी विदेश विभाग से सवाल पूछा था, जिसपर मैथ्यू मिलर ने कहा, कि “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और मुझे उम्मीद है, कि भारत में ऐसा ही रहेगा।” हाल के दिनों में अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को लगातार “बहुत महत्वपूर्ण भागीदार” बताया है और जोक देकर कहा है, कि “दोनों देशों के बीच संबंध लगातार बढ़ रहे हैं।”
सबसे खास बात ये है, कि बांग्लादेशी पत्रकार ने 40 सेकंड्स तक मैथ्यू मिलर से सवाल पूछा था, लेकिन मैथ्यू मिलर ने सिर्फ 9 सेकंड्स में जवाब देकर उसके प्रोपेगेंडा की पोल खोलकर रख दी।
लेकिन, पिछले दिनों भारत में सीएए लागू होने, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैक अकाउंट फ्रीज होने को लेकर जब अमेरिका से सवाल पूछे गये थे, तो अमेरिका ने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी, जिसको लेकर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। अरविंद केजरीवाल मामले में बोलने पर भारत ने अमेरिकी दूतावास के अधिकारी को तलब भी किया था। और अमेरिका की ताजा प्रक्रिया से ऐसा लगता है, कि अमेरिका ने भारत के अंदरूनी मामले में बोलने से परहेज किया है।