राम बनाम न्याय: राहुल गांधी अपनी यात्रा से कितनी बड़ी सियासी लकीर खींच पाएंगे?

भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब ‘मणिपुर से मुंबई’ तक ‘भारत न्याय यात्रा’ पर निकलने जा रहे हैं. कांग्रेस की यह यात्रा 14 जनवरी को शुरू होगी और 20 मार्च तक चलेगी. राहुल गांधी न्याय यात्रा पर उस समय निकल रहे हैं, जब अयोध्या में भगवान श्रीराम की मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है. पीएम मोदी 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. देश ही नहीं बल्कि दुनिया की नजरें अयोध्या पर टिकी होंगी. गांव-गांव शहर-शहर हर तरफ सिर्फ राम मंदिर का जिक्र हो रहा होगा. बीजेपी राम मंदिर के बहाने 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर रही होगी तो राहुल गांधी पूर्वोत्तर से पश्चिम भारत तक ‘न्याय’ का नारा बुलंद कर सियासी नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे होंगे.

अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर भारतीय राजनीति की धुरी रहा है. बीजेपी के दो सीटों से सत्ता के शिखर तक पहुंचने में भी राम मंदिर के मुद्दे का बड़ा योगदान रहा है और पार्टी की रणनीति है कि अयोध्या में जब भगवान श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है तो उसके सहारे जीत की हैट्रिक लगाई जाए. बीजेपी 2024 के सियासी जंग को राम मंदिर के मुद्दे पर ही लड़ने का प्लान बनाया है. बीजेपी यह बताने में जुट गई है राम मंदिर के सपने को साकार करने के लिए उसने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. राम मंदिर के मुद्दे की मुखालफत करने का साहस किसी भी विपक्षी दल में नहीं रहा है. ऐसे में राहुल गांधी न्याय यात्रा पर निकल कर एक बड़ी सियासी लकीर खींचना चाहते हैं.

14 राज्यों से होकर गुजरेगी यात्रा

राहुल गांधी ने न्याय यात्रा के लिए मकर संक्रांति के दिन को चुना है, जिसके जरिए हिंदू भावनाओं का ख्याल रखने की कोशिश की है, यह कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. हिंदू धर्म में शुभ कार्य सूर्य उत्तरायण होने के बाद किए जाते हैं, जिसकी शुरुआत मकर संक्रांति से हो रही है. राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक करीब 6200 किलोमीटर की यात्रा 67 दिनों में पूरी करेंगे. यह यात्रा 14 राज्यों (मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र) के 85 जिलों से होकर गुजरेगी.

राहुल गांधी लगाएंगे न्याय की गुहार

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने तीन मुद्दे उठाए थे. उन्होंने आर्थिक विषमता के मुद्दे को उठाया था, सामाजिक ध्रुवीकरण के खिलाफ आवाज आवाज उठाई थी और राजनीतिक तानाशाही, जो आज देश की हकीकत बन गई है. लेकिन, इस बार भारत न्याय यात्रा का मुद्दा आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय को उठाएंगे. कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल गांधी इस दौरान युवाओं, महिलाओं और हाशिए के लोगों से बात करेंगे. उन्होंने बताया कि इस यात्रा का मकसद ‘सबके लिए न्याय’ है. राहुल गांधी महिलाओं, युवाओं और आम लोगों के लिए न्याय चाहते हैं. अभी सब कुछ अमीर लोगों के पास जा रहा है. ये यात्रा गरीब लोगों, युवा किसानों और महिलाओं की है. राहुल गांधी देश के लोगों के लिए न्याय की गुहार पूर्वोत्तर से पश्चिम भारत तक लगाते नजर आएंगे.

बीजेपी के हाथ में मंडल- कमंडल दोनों

दरअसल, पीएम मोदी के चेहरे को आगे करके बीजेपी ओबीसी वोटबैंक पर मजबूत पकड़ बना चुकी है. इतना ही नहीं 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर की आधार शिला रखने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी 22 जनवरी को रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे हैं. इस तरह पीएम मोदी मंडल और कमंडल दोनों ही पालिटिक्स के साथ बैलेंस बनाकर चल रहे हैं. सरकार से लेकर संगठन तक में सामाजिक संतुलन साधे हुए हैं. पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में दलित-ओबीसी वोटर की भूमिका अहम रही है. ओबीसी वोटों की ताकत को देखते हुए विपक्षी भी अब बीजेपी को घेरने के लिए सामाजिक न्याय का एजेंडा सेट कर रहे हैं.

Pm Narendra Modi

कांग्रेस तलाश रही खोई हुई सियासी जमीन

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि राहुल गांधी भी सामाजिक न्याय को लेकर इन दिनों चल रहे हैं. कर्नाटक के कोलार में दिया गया राहुल का भाषण सामाजिक न्याय के इर्द-गिर्द सिमटा रहा और उसके बाद लगातार दलित-पिछड़े और आदिवासी के मुद्दे पर मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं. अब राहुल इसे लेकर मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा शुरू कर रहे हैं. कांग्रेस सामाजिक न्याय के बहाने अपनी खोयी हुई सियासी जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस एक समय में गरीब, दलित, आदिवासी तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की पसंदीदा पार्टी हुआ करती थी, लेकिन मंडल की पालिटिक्स उभार के बाद से वो खिसक गया. राहुल गांधी अब सामाजिक न्याय के बहाने उन्हें दोबारा से जोड़ने की कोशिश में है, जिसके लिए ही भारत न्याय यात्रा शुरू कर रहे हैं. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओबीसी सियासत हावी है. बिहार में नीतीश कुमार जातिगत जनगणना कराकर आरक्षण की लिमिट बढ़ा चुके हैं तो यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक में इसकी मांग उठ रही है.

राम मंदिर का काउंटर करना मुश्किल

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं कि सामाजिक, आर्थिक न्याय के मुद्दे कोई नहीं उठा रहा है. दलित, आदिवासी, ओबीसी और मुस्लिम के हित राजनीतिक दलों के एजेंडे से बाहर हो गए हैं. ऐसे में राहुल गांधी न्याय यात्रा के बहाने इन सारे मुद्दो को उठाएंगे और साथ ही बीजेपी के राम मंदिर को काउंटर करते भी नजर आएंगे. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी भी यह समझ रही है कि मौजूदा सियासत में बीजेपी को हराना आसान नहीं है खासकर हिंदुत्व के मुद्दे पर है. राम मंदिर का उद्घाटन हो रहा है 22 जनवरी के बाद बीजेपी गांव-गांव से लोंगो को रामलला के दर्शन कराने के लिए ले जाने का प्लान बनाया है. संघ से लेकर हिंदू संगठन और बीजेपी के लोग राम मंदिर को घर-घर पहुंचाने में जुटे हैं. ऐसे में राहुल गांधी ने मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा का नाम भारत न्याय यात्रा रखी गई है, जिसके जरिए कई सियासी संदेश देने की रणनीति है.

हिंदुत्व बनाम न्याय का नैरेटिव

वह कहते हैं कि कांग्रेस इस यात्रा के बहाने एक तरफ सामाजिक न्याय का एजेंडा सेट करना चाहती है तो दूसरी तरफ भगवान श्रीराम को न्याय का प्रयार्य माना जाता है. इस तरह से बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा के सामने राहुल गांधी न्याय का नैरेटिव सेट करने का दांव है. कांग्रेस यह जानती है कि बीजेपी के राम मंदिर के सामने फिलहाल कोई मुद्दा नहीं चलने वाला है, जिसके चलते ही उसके समानांतर एक बड़ी लाइन को खींचने की स्ट्रैटेजी है. इसीलिए कांग्रेस के कई नेता सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि अगर उन्हें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में उन्हें निमंत्रण मिलता है तो जरूर जाएंगे. इतना ही नहीं कांग्रेस के नेता यह भी कह रहे हैं कि राम मंदिर बीजेपी का पेटेंट नहीं है. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा में माथा टेकते नजर आए थे और अब भारत न्याय यात्रा के दौरान सर्व धर्म संभाव की बात करने के साथ-साथ सामाजिक न्याय की बात करते नजर आएंगे.

BJP नेताओं ने यात्रा पर उठाए सवाल

राहुल गांधी की शुरू हो रही भारत न्याय यात्रा को लेकर बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि भारत के लोगों ने कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के विचार को खारिज कर दिया था, क्योंकि राहुल गांधी और कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है. वो सोचते हैं कि वो कुछ नारे उछालकर भारत के लोगों को मूर्ख बना लेंगे, लेकिन देश की जनता समझ रही है. असल न्याय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2014 से ही दे रही है. बिना भेदभाव समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रहे हैं. साथ ही केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस दशकों तक सत्ता में रहते हुए अन्यायपूर्ण व्यवस्था चलाई, जिसके चलते लोगों को सामाजिक अन्याय झेलने पड़े. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने विकास को सभी तक पहुंचाकर यह सुनिश्चित किया है कि सभी को न्याय मिले.

‘न्याय’ के सूर्य का उदय ही भारत के उदय की गारंटी

कांग्रेस नेता पंकज श्रीवास्तव कहते हैं कि राहुल गांधी की यात्राएं आयडिया ऑफ इंडिया या उस नव-भारत के प्रति प्रतिबद्धता और संघर्ष का ऐलान हैं, जिसने उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम की तमाम विविधिताओं को कुछ संकल्पों में एकसार कर दिया था. ये संकल्प था न्याय का। जाति, धर्म, नस्ल, क्षेत्र के भेद से मुक्त न्याय का. जब इस संकल्प पर छाये उन्मादी बादल पूरी दुनिया को चिंता में डाल रहे हैं तो राहुल गांधी एक बड़े आश्वासन की तरह खड़े नजर आ रहे. राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आर्थिक विषमता, सामाजिक ध्रुवीकरण औऱ राजनीतिक तानाशाही का मुद्दा उठाया था. ‘नफरत के बाज़ार में मुहब्बत की दुकान’ खोलने की उनकी बातें लाखों लोगों के दिल को छुई थी.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की इस बार की ‘भारत न्याय यात्रा’ आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय के मुद्दे को लेकर होगी. ये वों मुद्दे हैं जिनके बिना डॉ. आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में आजादी और लोकतंत्र को अधूरा बताया था. वह कहते हैं कि 14 जनवरी मकर संक्रांति का दिन होता है जब राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा शुरू करेंगे. इस दिन सूर्य अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण में प्रवेश करता है. आम लोग तमाम मैल छुड़ाने के लिए पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. राहुल की यह न्याययात्रा भी वैसी ही पवित्र नदी साबित होगी जिसमें स्नान करने से तमाम कलुष मिटेंगे और एक न्यायपूर्ण भारत का संकल्प संभव होगा. न्याय के सूर्य का उदय ही भारत के उदय की गारंटी होगा.

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