नि‍वेशकाें को आकर्षित करेगा भारतीय शेयर बाजार, चीन से रहेंगे दूर

नई दिल्ली, 13 फरवरी (आईएएनएस)। अल्केमी कैपिटल मैनेजमेंट के हेड क्वांट और पोर्टफोलियो मैनेजर आलोक अग्रवाल का कहना है कि चीनी शेयर बाजार ने, विशेष रूप से तीन वर्षों में गंभीर रूप से खराब प्रदर्शन किया है।

यह उस ‘खोए हुए दशक’ के समान है, जिसे उनके जापानी समकक्षों ने 1990 के दशक में अनुभव किया था, जिसमें हालिया उछाल के बाद स्थिरता आकर्षक थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान व‍ित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही के माध्यम से, चीन के रियल एस्टेट और बैंकिंग उद्योग पूरी अर्थव्यवस्था में जारी रह सकते हैं, जो कई उपभोक्ता क्षेत्रों में देखे गए मध्यम विस्तार को संतुलित करेगा।

2019 के बाद से शेयर बाजार पर सबसे कम दैनिक औसत कारोबार 2023 में 790 बिलियन युआन था, और प्रमुख उभरते बाजार (ईएम) फंड अभी भी चीनी शेयर बाजार से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपर्याप्त नए क्रेडिट सुस्त आर्थिक सुधार और चीनी तेल की खपत में कमी की ओर इशारा करते हैं, जबकि कम औद्योगिक उत्पादन और क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) डेटा 2024 में बिजली उत्पादन को सीमित कर सकते हैं।

यदि महत्वपूर्ण ईएम फंड बाहर निकलना जारी रखते हैं, तो चीन का इक्विटी जोखिम लंबे समय तक स्थिर रह सकता है। उन्होंने कहा कि शीर्ष ईएम फंडों की चीनी शेयरों में औसत हिस्सेदारी पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है और बहुत कम फंडों ने अपनी स्थिति बढ़ाई है।

एमएससीआई उभरते बाजार सूचकांक में, भारत का चीन (23प्रतिशत) के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश भार (18 प्रतिशत) है। पांच साल पहले भारत का वजन 8 प्रतिशत था, जबकि चीन का 31 प्रतिशत था। दूसरी ओर, भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जैसा कि देश के बाजार, कॉर्पोरेट आय और वृहद विकास से पता चलता है।

पिछले वर्ष के दौरान, एमएससीआई चीन में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि एमएससीआई इंडिया में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, पिछले पांच वर्षों के आंकड़े क्रमशः 28 प्रतिशत और प्‍लस 116 प्रतिशत हैं।

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