INS Imphal: समंदर का नया सिकंदर है INS इंफाल, अब आंख नहीं दिखा पाएंगे पाक-चीन
भारतीय नेवी को समंदर का नया सिकंदर INS इंफाल मिल गया है. पाकिस्तान और चीन अब भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी नहीं कर सकेंगे. यदि गलती से भी पड़ोसी मुल्कों ने ऐसा किया तो यह वॉर शिप अकेले ही दुश्मन के बेड़े को ध्वस्त करने के लिए काफी होगा. मॉर्डन सर्विलांस रडार के साथ कई अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस INS इंफाल हर तरह के युद्ध को लड़ने में सक्षम है.
विशाखापत्तनम क्लास का तीसरा वॉर शिप आईएनएस इंफाल मंगलवार को मुंबई डॉकयार्ड में आयोजित कार्यक्रम में नेवी को कमीशन किया गया. इससे भारतीय नेवी की ताकत कई गुना बढ़ गई है. यह स्वदेशी युद्धपोत एक बार में 45 दिन तक समुद्र में रह सकता है, यदि ये 33 किमी प्रतिघंटा की गति से चलता है तो यह तकरीबन 15000 किमी का सफर तय कर सकता है. यह बेहतरीन रडार और अत्याधुनिक कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है.
कितना ताकतवर है INS इंफाल
- INS इंफाल पर 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल तैनात होंगी. यह मिसाइलें सुपरसोनिक स्पीड यानी 3 हजार किमी प्रतिघंटा की गति से दुश्मन बेड़े पर हमला कर सकती हैं.
- वॉर शिप पर 32 बराक-8 मिसाइल इसकी मारक क्षमता 50 से 70 किमी के बीच है. यह भारतीय इजराइली मिसाइल है जो इसी साल भारत को मिलनी शुरू हुई है.
- आईएनएस इंफाल पर 04 टारपीडो ट्यूब हैं. इसके अलावा 2 एंटी सब मरीन रॉकेट लांचर्स हैं. जो किसी भी सबमरीन को ढूंढकर तबाह कर सकते हैं.
- 2 ध्रुव और सी किंग हेलीकॉप्टर भी आईएनएस इंफाल पर तैनात रहेंगे. 76 एमएम रैपिड माउंट गन भी है, जो किसी भी तरह की गतिविधि का जवाब देगी.
75 प्रतिशत स्वदेशी
INS इंफाल को भारत में ही तैयार किया गया है. जो 75 प्रतिशत स्वदेशी है. इसके भारतीय नौसेना के संगठन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है. निर्माण का काम मुंबई स्थित मझगांव डॉकशिप में हुआ था. यह युद्धपोत तमाम खासियतों से लैस है, जिसमें से एक बैटल डैमेज कंट्रोल भी है. यदि जंग के दौरान जहाज का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है तब भी वॉरशिप काम करता रहेगा.
अगले साल कमीशन होगा INS सूरत
INS इंफाल विशाखापत्तनम श्रेणी का तीसरा युद्धपोत है. इसकी टेस्टिंग में भी कम समय लगा है. इसे पहली बार 2019 में समुद्र में उतारा गया था. इसी साल अप्रैल में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई थी. 20 अक्टूबर को इसे कमीशन के लिए तैयार घोषित कर दिया गया था. अब विशाखापत्तम श्रेणी का एक विमान INS सूरत बनाने पर काम चल रहा है. माना जा रहा है कि यह अगले साल तक नेवी का हिस्सा बन सकता है.