इस महारानी के हाथों मारा गया था राम मंदिर तोड़ने वाला बाबर का सिपहसालार मीर बाकी, अब मिला प्राण प्रतिष्ठा का न्योता

भगवान रामलला का 500 वर्ष का इंतजार खत्म हो गया है. रामलाल अपने गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं. लगभग 500 वर्ष पहले राम मंदिर को बचाने के लिए हंसवर स्टेट के राजा रणविजय सिंह ने अपनी छोटी सी सेना के साथ मुगल के शासक बाबर के सिपहसालार मीर बाकी से भीषण युद्ध किया था, जिसमें वह वीरगति को प्राप्त हो गए थे. जिसके बाद राजा रणविजय सिंह की पत्नी महारानी जयाकुमारी ने महिलाओं की एक सेना बनाकर युद्ध का बिगुल फूंक दिया था और कई महीनों तक छापामार युद्ध किया। इस छापामार युद्ध में उन्होंने बाबर के सिपहसालार मीर बाकी को मार गिराया था और राम मंदिर पर कब्जा कर लिया था. जिसकी सूचना पाते ही मुग़ल शासक बाबर ने एक बड़ी सेना के साथ महारानी पर आक्रमण कर दिया, जिसमें वह युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई.

हंसवर स्टेट के महाराज के इसी योगदान को देखते हुए महाराज के वंशज नरेंद्र मोहन सिंह उर्फ संजय सिंह को 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला है. नरेंद्र मोहन सिंह वर्तमान में बसखारी ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख भी हैं. संजय सिंह ने बताया कि महारानी की एक तस्वीर अयोध्या में भी लगाई गई है. संजय सिंह ने बताया कि यह ऐतिहासिक दिन है. ऐसे उत्सव में शामिल होकर वे धन्य हो गए हैं.

बात लगभग 1527 से 1529 के बीच की है, जब बाबर के सिपहसालार मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को ध्वस्त किया जा रहा था, तो हंसवर स्टेट के राजा रणविजय सिंह ने राम मंदिर को बचाने के लिए अपनी एक छोटी सी सेना की टुकड़ी लेकर युद्ध का बिगुल फूंक दिया था. लेकिन सैन्य क्षमता और उस समय के आधुनिक हथियारों की कमी के चलते वो आखिरकार बाबर के सेना के सामने टिक नहीं सके और पराजित है गए. महाराजा वीरगति को प्राप्त हो गए. उनके देहांत के बाद उनकी पत्नी महारानी जया कुमारी नेअपनी महिला सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी बनाई. फिर जब बाबरी मस्जिद का निर्माण शुरू हो चुका था, तब एक बार फिर हंसवर स्टेट की इस वीरांगना ने बाबर की फौज से मुकाबला किया था और कई महीनों तक छापामार युद्ध किया. इस छापामार युद्ध में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी को मार गिराया. तत्पश्चात रामलाल के मंदिर पर महारानी ने कब्जा कर लिया. जिसकी सूचना मिलते ही मुग़ल शासक बाबर ने एक बड़ी सेना के साथ महारानी पर आक्रमण कर दिया, जिसमें वह युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई.

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