जानिए फौलादी तंदुरुस्ति के सारे देशी फंडे

हम सब अपने शरीर और मष्तिस्क को पूरी तरह से स्वस्थ रखने में कामयाब नहीं हो पाते हैं। क्योंकि हमने कई प्रकार कि अनावश्यक चिंताओं और गलत आदतों से अपने आप को घेर रखा है। यह विज्ञान के द्वारा स्थापित तथ्य है कि ज्यादा चिंता करने वालों का तन्त्रिका तंत्र अधिक सक्रीय होता है, जो शरीर के विभिन्न अंगो में रक्त कि मात्रा को असंतुलित कर देता है। इससे ह्रदय की गति जरूरत से ज्यादा तेज हो जाती है।

यदि ऐसी स्थिति ज्यादा समय तक बनी रहे तो, धीरे-धीरे शरीर के अंगो को कमजोर कर देती है, जिससे कई रोग हमारे शरीर को घेर लेते हैं। अत: ऐसी स्थिति से बचने का तरीका क्या है? तथा किन उपायों और अच्छी आदतों से अपने शरीर ओर दिमाग को स्थाई रूप से स्वस्थ रखें आइये जाने….

– नियमित रूम से प्राणायाम करें, प्राणायाम आपके मष्तिस्क को शांत, संतुलित और विषय पर केन्द्रित करता है। प्राणायाम मस्तिष्क को हानिकारक तत्वों से बचाता है।

– प्राणायाम के दौरान गहरी सांस लेने से मष्तिष्क की कोशिकाओ में रक्त प्रवाह बढ जाता है, जो उन्हें स्वस्थ बनता है।

– कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन आत्मचिंतन करें, आत्मचिंतन से जीवन को दिशा मिलती है, मष्तिष्क संतुलित और दिशामान होता है, तथा आपको परिस्तिथियों का सामना करने कि हिम्मत मिलती है।

– हमेशा संतुलित शाकाहारी आहार ग्रहण करें, आप जैसा खाते हंै वैसे ही बन जाते हैं, अच्छा आहार न केवल आपके दिमाग को स्वस्थ रखेगा बल्कि आपके विचारों को भी सकारात्मक बनाएगा। शाकाहारी भोजन आपमें अहिंसा कि भावना को जगायेगा और आपको दृढनिश्चयी बनाएगा।

– अच्छे लोगों के साथ में रहे, अच्छी किताबें पड़े तथा अच्छी बातें सोचने का प्रयत्न करें। अपने दिमाग में अच्छे और सकारात्मक विचार रखने वाले लोगों का दिमाग ज्यादा तेज और चुस्त होता है, तथा इस तरह के दिमाग में चिंता घर नहीं कर पाती।

– आपका दिमाग एक मांसपेशी की तरह होता है। जैसे आपकी मांसपेशीयों को मजबूत बनाने के लिए नियमित रूप से वजन उठाना पड़ता है, उसी तरह दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए अच्छे विचारों को नियमित रूप से सोचना पड़ता है, अपने दिमाग का नियमत रूप से सौष्ठव करें, तथा बिमारियों को अपने से दूर रखें।

ये उपाय आसान और व्यावहारिक हैं जो आपके मष्तिष्क को स्वस्थ रखने में आपकी सहायता करेंगे, इनके साथ-साथ आपको ये ध्यान देना है कि आप नियमित रूम से व्यायाम करते रहें। ये जीवन का शाश्वत सत्य है की मष्तिष्क और शरीर एक दूसर के पूरक हैं।

विशेष- बुरी आदतों से बचना और शारीरिक श्रम करने का कोई और विकल्प नहीं है, इनके बिना आप सम्पूर्ण स्वास्थ्य को नहीं पा सकते।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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