चीन के जादुई दर्पण, चमत्कार से कम नहीं है जिनके पीछे का साइंस, जरूर जानना चाहिए इनका रहस्य!
एक हजार सालों से भी अधिक समय से एक दुर्लभ प्रकार की चीनी कलाकृतियां रिसर्चर्स को चकित कर रही हैं. यह एक पॉलिश किया हुआ कांस्य दर्पण है, जिसके पिछले हिस्से पर एक पैटर्न बना हुआ है, जिनको चीन में t’ou kuang ching कहा जाता है. हालांकि, अंग्रेजी में इन्हें ‘लाइट ट्रांसमिटिंग मिरर’ या ‘मैजिकल मिरर’ नामों से जाना जाता है. इन दर्पणों के पीछे का साइंस किसी चमत्कार से कम नहीं है, इसलिए आपको इनके रहस्य को जरूर जानना चाहिए.
दिखने में कैसा होता है ये दर्पण?:
चीन के इन जादुई दर्पणों की डिजाइन बड़ी ही अद्भुत होती है. ये कांसे के दर्पण होते हैं, जिनके सामने का भाग पॉलिशदार होता है और पीछे की तरफ कांसे से बना डिजाइन होता है. पॉलिश की गई सतह सामान्य दिखाई देती है और इसे नियमित दर्पण के रूप में उपयोग किया जा सकता है. Grand Illusions नामक एक चैनल द्वारा यट्यूब पर पब्लिश किए गए एक वीडियो में आप इन दर्पणों की डिजाइन को देख सकते हैं.
amusingplanet.com की रिपोर्ट के अनुसार, इन दर्पणों में छिपा हुआ जादू तब सामने आता है, जब दर्पण के चमकदार हिस्से पर रोशनी डाली जाती है और परावर्तित प्रकाश को किसी सतह पर डाला जाता है, तो मिरर के पिछले हिस्से को सजाने के लिए बनाया गया पैटर्न रहस्यमयी तरीके से उस सतह पर दिखाई पड़ता है. जैसे मानों कि ठोस कांस्य दर्पण पारदर्शी (Transparent) हो गया हो. इस दृश्य को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं.
कब बनाए गए थे ये दर्पण?
प्राचीन चीनी जादुई दर्पणों कब बनाए गए थे. इस बारे में सटीक जानकार नहीं मिलती है. हालांकि, जादुई दर्पण बनाने की कला का पता हान राजवंश (206 ईसा पूर्व – 24 ईस्वी) से लगाया जा सकता है. इनको बनाए जाने के रहस्य कम से कम 8वीं और 9वीं तक बचा रहा, क्योंकि रिकॉर्ड्स ऑफ अन्सिएंट मिरर्स (Record of Ancient Mirrors) नामक एक किताब थी, जिसमें इन दर्पणों को बनाए जाने का सीक्रेट लिखा हुआ था. हालांकि, अब यह किताब खो गई है.
क्या है इन दर्पणों का रहस्य?
दो सौ साल बाद, जादुई दर्पण पहले से ही चीनियों के लिए भी एक रहस्य थे. लेकिन, 11वीं सदी के चीनी बहुश्रुत (Polymath) और राजनेता शेन कुओ (Shen Kuo) ने अपनी किताब ‘द ड्रीम पूल एसेज़’ में इन दर्पणों के बारें बताया है. उनके मुताबिक, ‘पूर्वजों के पास सचमुच कोई विशेष कला रही होगी…. चर्चा करने वालों का कहना है कि जिस समय शीशा ढाला गया, उस समय पतला भाग पहले ठंडा हो गया, जबकि पिछला पर डिजाइन का उभरा हुआ भाग, अधिक मोटा हो गया. बाद में ठंडा करें, ताकि कांस्य पर बारीक झुर्रियां (Wrinkles) बन जाएं. हालांकि, डिजाइन पीछे है, लेकिन चमकदार भाग पर हल्की रेखाएं हैं, जिन्हें नग्न आंखों से देखना बड़ा ही मुश्किल है.
इन दर्पणों के सीक्रेट को लेकर कई थ्योरियां हैं, जो प्रकाश परावर्तन, अपवर्तन के सिद्धातों और इसकी बनावट होने की ओर इशारा करती हैं.
1– सबसे पॉपुलर थ्योरी ये है कि दर्पण की सतह (चमकदार) पर उसके पिछले हिस्से के पैर्टन की सुक्ष्म रेखाएं होती हैं, जिन पर प्रकाश पड़ने पर पिछली डिजाइन सतह पर प्रतिबिंबित होती है और उसकी छवि बनती हैं. जैसा कि शेन कुओ ने सुझाव दिया था. रिसर्चर्स का मानना है कि कास्टिंग और पॉलिशिंग विधियों के संयोजन के कारण ये सुक्ष्म रेखाएं बनती हैं.
2- एक अन्य सिद्धांत यह है कि, दर्पण को पॉलिश करने के बाद इसे गर्म किया जाता है जिससे पतली परतें फैलती हैं और थोड़ा उत्तल हो जाती हैं, जिससे इन क्षेत्रों में परावर्तित प्रकाश बिखर जाता है और छवि बनती है. परिवर्तनों को स्थायी बनाने के लिए दर्पण को गर्म करने के बाद तुरंत पानी में ठंडा किया जाता है.