मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई याचिका

मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. सर्वोच्च अदालत ने मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट जाने को कहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मसले पर एक साथ सुनवाई करने का का आदेश दिया था जिसके खिलाफ ईदगाह समिति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमे उच्च न्यायालय ने इस विवाद से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़कर सुनने का फैसला लिया था. हाईकोर्ट का कहना था कि ये सभी मुकदमे एक ही तरह के हैं और इनमें एक ही तरह के सबूतों के आधार पर फैसला होना है. ऐसे में, समय बचाने के लिए इन मुकदमों की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए.

विवाद और दोनों पक्ष के दावें

करीब 350 साल पुराना ये विवाद 13.37 एकड़ की जमीन को लेकर है. दरअसल 11 एकड़ में श्रीकृष्ण मंदिर जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह की मस्जिद है. हिंदू पक्ष का मस्जिद वाले जमीन पर भी दावा है और वह 1968 के जमीन समझौता को सही नहीं मानता.

इससे उलट, मुस्लिम पक्ष हिंदू पक्ष के दावे को गलत मानता है.मुस्लिम पक्ष 1968 में हुए जमीन समझौते और प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की बात कह कर हिंदू पक्ष के दावे को सिरे से खारिज करता है.

प्लेसेज ऑफ वर्शिप कानून

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का कानून है. ये कानून पीवी नरसिम्हा राव की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार लेकर आई थी. इस कानून में प्रावधान था कि 15 अगस्त 1947 को जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति होगी, वह उसी हिसाब से जस की तस रहेगी.

इसका लब्बोलुआब ये था कि अगर 15 अगस्त 1947 को कहीं मंदिर था तो वो मंदिर ही रहेगा, उसके निर्माण में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. वहीं, अगर 15 अगस्त 1947 को कहीं मस्जिद है तो वह इमारत मस्जिद ही के तौर पर जानी जाएगी. हां, इस कानून में एक अपवाद भी था. अयोध्या मामले को इस कानून से बाहर रखा गया.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *