मोबाइल और प्रोटीन से निकलेगा 22 कैरेट गोल्ड, साइंटिस्ट्स ने ईजाद किया सोना निकालने का तरीका
क्या आपने सुना है कि मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप से सोना निकाला जाता है? जब ये डिवाइस खराब हो जाते हैं तो कई फर्म इनके कबाड़ से सोना निकालती हैं. यह ई-वेस्ट मैनेजमेंट हिस्सा है. हाल ही में इस प्रक्रिया और ज्यादा आसानी और किफायती बनाया गया है. स्विट्जरलैंड की ETH ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने ई-वेस्ट से गोल्ड निकालने का सस्ता और असरदार तरीका ईजाद किया है. यह तरीका इतना एडवांस है कि 1 डॉलर (करीब 83 रुपये) खर्च करने पर 50 डॉलर (करीब 4,145 रुपये) की बचत हो सकती है.
रिसर्चर्स ने ई-कचरे से कीमती सोना निकालने के लिए पनीर बनाने की प्रक्रिया के बाय-प्रोडक्ट्स और प्रोटीन स्पंज का इस्तेमाल किया है. यह एक ऐसी प्रोसेस है जिसके बारे में रिसर्चर्स का दावा है कि यह टिकाऊ और बिजनेस के लिहाज से शानदार है. बता दें कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर जैसे डिवाइस के चिप सर्किट में सोना होता है, जिसे प्रोसेस करके बाहर निकाला जाता है.
ई-वेस्ट से निकला 22 कैरेट सोना
स्टडी के मुताबिक, साइंटिस्ट्स ने 20 पुराने कंप्यूटर मदरबोर्ड से 22 कैरेट सोने की 450 मिलीग्राम की डली बनाने में कामयाबी हासिल की. इस तरीके के रिजल्ट से पता चलता है कि सोना निकालने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान की खरीद लागत और पूरी प्रक्रिया के लिए बिजली का खर्च सोने की कीमत से 50 गुना कम है.
ई-कचरे से ऐसे निकाला सोना
इस प्रक्रिया से जो सोना निकलेगा उसमें काफी कम खर्च आएगा, और ज्यादा बचत होगी. सोना निकालने के लिए साइंटिस्ट्स ने एक प्रोटीन घोल बनाने के लिए हाई टेंपरेचर पर एसिडिक कंडीशन में व्हे प्रोटीन को प्रोसेस किया. इसका स्पंज बनाने के लिए उन्होंने इसे सुखा दिया.
फिर रिसर्चर्स ने 20 मदरबोर्ड से मेटल के हिस्सों को हटा दिया, और उन्हें एसिड में डाल दिया. इसके बाद सोने के आयंस को खींचने के लिए सॉल्यूशन में एक प्रोटीन फाइबर स्पंज रख दिया. दूसरे मेटल भी प्रोटीन फाइबर स्पंज से चिपकते हैं, लेकिन सोने के आयंस ज्यादा बेहतर तरीके से चिपकते हैं.
सोने की डली में 91 फीसदी गोल्ड
इसके बाद साइंटिस्टस ने स्पंज को गर्म किया और सोने के आयंस को टुकड़ों में बदल दिया, जिसे पिघलाकर सोने की डली बना दी गई. एडवांस्ड मटेरियल्स जर्नल में पब्लिश्ड स्टडी में दावा किया गया कि ई-वेस्ट से निकली सोने की डली में 91 फीसदी सोना था, और बाकी तांबा था. यानी यह 22 कैरेट गोल्ड के बराबर था.