मालदीव के पहाड़ जैसे लोन पर अमेरिका ने जताई चिंता, साल 2026 तक जीडीपी से ज्यादा होगा कर्ज, जिम्मेदार चीन

चीन और मालदीव के बीच बढ़ती करीबी को लेकर अमेरिका भी परेशान है। सबसे बड़ी चिंता इसका बढ़ता हुआ कर्ज है। अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक और दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने भी अब इस पर चेतावनी दी है। एक कार्यक्रम में उनसे पूछा गया कि आखिर अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति को चीन ने कैसे उसके खिलाफ दिखा दिया और अमेरिका इसका प्रबंध कैसे कर रहा है। तब उन्होंने मालदीव का उदाहरण दिया। लू ने कहा, ‘यह एक ऐसी जगह है जहां चीन, अमेरिका, भारत और अन्य देश प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि इसमें कामयाबी किसी देश को तभी मिलेगी जब वह दूसरे की तुलना में ज्यादा आकर्षक और अच्छा प्रस्ताव देगा। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि जब वास्तविक प्रतिस्पर्धा होगी तो चीन एक अच्छा भागीदार होगा। लेकिन अगर प्रतिस्पर्धा नहीं है तो हमने बार-बार देखा है कि चीन अस्थिर परियोजनाओं के लिए अस्थिर ऋण की पेशकश कर रहा है।’ उन्होंने इस बात की भी ओर इशारा किया कि अगर मालदीव को 2026 तक ऋण पुनर्गठन नहीं मिलता तो उस पर 1.3 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज भुगतान बकाया होगा, जो सरकार के बजट से अधिक है।

मालदीव नहीं है छोटा

लू ने कहा कि अमेरिका को टिकाऊ, लाभदायक, निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले निवेश की जरूरत थी। उन्होंने मालदीव के आर्थिक अवसरों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि मालदीव में बहुत संभावना है, हर तरफ आपको टूरिज्म दिखेगा। मालदीव के सामने आने वाली चुनौतियों पर टिप्पणी करते हुए लू ने कहा, ‘मालदीव 1200 द्वीपों की एक शृंखला है जो 53,000 किमी के क्षेत्रीय जल को कवर करता है जो लगभग फ्रांस के आकार का है। आप मालदीव को छोटा समझते हैं, लेकिन रक्षा के लिहाज से यह बहुत बड़ा है। ऐसे में इसकी संप्रभुता की रक्षा कैसे की जा सकती है?’

अमेरिका देगा मदद

डोनाल्ड लू ने कहा, ‘टेक्नोलॉजी, प्रशिक्षण या फिर सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी हो सकती है। हम सभी को मालदीव की मदद करनी चाहिए।’ उन्होंने यह भी बताया कि आखिर अमेरिका क्या मदद करने वाला है। उन्होंने कहा, ‘हम मालदीव नेवी को चार पेट्रोल बोट देंगे। हम एयरक्राफ्ट को लेकर भी बातचीत कर रहे हैं।’ लू ने मालदीव की जलवायु चुनौतियों की ओर इशारा किया और कहा कि यह डूब रहा है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि क्लीन एनर्जी के जरिए इसे बचाएं।

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