मर्डर, महिलाओं पर अत्याचार, गुंडागर्दी…फिर भी कानून के शिकंजे से कैसे बचता रहा संदेशखाली का शाहजहां शेख?
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के संदेशखाली के बेताज बादशाह माने जाने वाले टीएमसी नेता शाहजहां शेख के आदेश के बिना एक पत्ता नहीं हिलता था. ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद से वह लापता है. शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ महिलाओं ने यौन उत्पीड़न से लेकर जबरन जमीन दखल का आरोप लगाया है. उनके घरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है. हिंसा और बदले की आग में संदेशखाली जल रहा है. लेकिन शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के जुल्म एक दिन के नहीं हैं. वर्षों से वह कानून के शिकंजे से बचता रहा है.
देवदास मंडल का 8 जून 2019 को अपहरण होता है. इसकी पत्नी अगले दिन अपहरण का एफआईआर दर्ज कराती है. बाद में कई टुकड़ों में एक शव मिलता है. डीएनए प्रोफाइलिंग से पता चलता है कि ये शव देवदास मंडल का है. इस मामले में आरोपी नम्बर एक शेख शाहजहां और उसके गुर्गे हैं.
लेकिन जो चार्जशीट फाइल की गई. उसमें शेख शाहजहां को आरोपी नहीं बनाया गया और जिनके नाम एफआईआर में नही थे, उनको आरोपी बनाया गया. एफआईआर में जिन 23 के खिलाफ नामजद रिपोर्ट थी. उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं गई. ये चार्जशीट भी पुलिस ने हत्या के तीन साल बाद दाखिल की थी.
प्वाइंट ब्लैक रेंज से मार दी गोली
8 जून 2029 को ही प्रदीप मंड़ल और सुकांता मंडल का मर्डर होता है. दोनों अपनी गारमेंट की शॉप पर मौजूद थे. शेख शाहजहां और उसके गुर्गे आते हैं. प्रदीप मंडल को पॉइंट ब्लेंक के रेंज से सर के पिछले हिस्से में गोली मारी जाती है. मौके पर ही उसकी मौत हो जाती है और उसकी दोनों आंखे बाहर निकल जाती है. सुकांता मंडल को भी प्वाइंट ब्लैक रेंज से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी जाती है.
अभी तक इस डबल मर्डर का ट्रायल तक शुरू नही हुआ है. इस मामले में भी जिनका नाम एफआईआर में है. उनको चार्जशीट नहीं किया गया और जिनका नाम एफआईआर में नही है. उन्हें आरोपी बनाया गया. इस डबल मर्डर में पांच लोग अभी भी फरार हैं, लेकिन कोर्ट से उनके वारंट अभी तक नही लिए गए.
खास बात ये है कि इस एफआईआर में भी मुख्य आरोपी शेख शाहजहां ही है, लेकिन अगर आप एफआईआर की कॉपी देखेंगे तो उसमें शेख शाहजहां के नाम को ब्लैक पेंट से हटाने की कोशिश की गई है.
तीन-तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या करने का आरोप
प्रदीप, सुकांता और देवदास मंडल तीनों ही बीजेपी के कार्यकर्ता थे और तीनों अनसूचित जाति से थे. शिकायत के मुताबिक 2019 में जब बीजेपी की लोकसभा में सरकार बनी तो संदेशखाली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं की कर हत्या की गई, क्योंकि ये लोग चुनाव में बढ़-चढ़कर बीजेपी का चुनाव प्रचार कर रहे थे.
आरोप है कि शाहजहां शेख टीएमसी का बाहुबली नेता था और अभिषेक बनर्जी का करीबी था. आरोप है कि इसलिए तीन-तीन हत्याओं में नामजद एफआईआर होने के बावजूद उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.
बिजली विभाग के अधिकारियों को पीटा
वहीं, बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मारपीट के मामले में भीमुख्य आरोपी है और उसके खिलाफ कोर्ट से वारंट भी निकला हुआ है, लेकिनइस मामले में भी आज तक उसकी गिरफ्तारी नही की गई.
आरोप है कि शाहजहां शेख ने बिजली विभाग के अधिकारियों को पहले उनके दफ्तर में जाकर पीटा और फिर अपने ऑफिस में बुलाकर भी बुरी तरह से मारा-पाटी. मृतकों की पत्नियों ने कोलकाता हाईकोर्ट ने याचिका डालकर इस मामले सही जांच और करवाई की मांग की है. इन सभी घटनाओं से साफ है कि किस तरह से राजनीतिक संरक्षण उसे मिल रहा था.