म्यो-म्यो लेते ही कानों में आने लगती है अजीब आवाज, नसों में दौड़ने लगती है… आखिर क्या है ये बला?
दिल्ली और पुणे पुलिस को हाल के दिनों में तब बड़ी कामयाबी मिली जब उन्होंने छापा मारकर दोनों शहरों में सिंथेटिक उत्तेजक दवा मेफेड्रोन की 1,800 किलोग्राम की बड़ी खेप बरामद की. इसे म्यो-म्यो या म्याऊ म्याऊ कोडनेम से भी पहचाना जाता है. छापेमारी में बरामद म्यो-म्यो की अनुमानित कीमत 3,500 करोड़ रुपये बताई गई है. म्यो-म्यो एक सिंथेटिक उत्तेजक और साइकोमैटिक पदार्थ है. भारत में ये ड्रग एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. ये इतना खतरनाक ड्रग है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में इसे बनाने, बेचने और सेवन करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है. वहीं, अमेरिका में इसे कानूनों के जरिये नियंत्रित किया जाता है. जानते हैं कि ये म्यो-म्यो क्या बला है? इसे कैसे बनाया जाता है?
म्यो-म्यो या म्याऊ-म्याऊ नाम से मिलने वाला नशीला ड्रग यानी मेफेड्रोन ड्रग नशीले पदार्थ हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा नशीला होता है. कहा जाता है कि अगर कोकीन और हेरोइन को लेने पर तकिया पर गिरने जैसे धक्के का अनुभव होता है तो म्याऊ-म्याऊ को लेने के बाद ऐसा लगता है, जैसे ट्रेन से टकरा गए हों. वहीं, इसको लेते ही कानों और दिमाग में अजीब आवाज गूंजनी शुरू हो जाती है. कुछ ही सेकेंड में इसका नशा करने वाले व्यक्ति को अपने आसपास का होशो-हवास नहीं रहता है. अगर इसे थोड़ी सी ज्यादा मात्रा में ले लिया जाए तो मौत पक्की मानी जाती है. इसीलिए इसे यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में अवैध ड्रग घोषित कर दिया गया है.
किस लिया बनाया गया था मेफेड्रोन ड्रग
मेफेड्रोन को दवा के तौर पर नहीं बनाया गया था. ये पौधों के लिए बनाई गई सिथेंटिक खाद होती है. इसी फर्टिलाइजर को नशा करने वालों ने पाउडर, गोली और कैप्सूल के तौर पर लेना शुरू कर दिया. वहीं, मेफेड्रोन ड्रग के कोकीन और हेरोइन के मुकाबले बेहद सस्ता होने के कारण इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा. मेफेड्रोन को रसायन विज्ञान में 4-एमएमसी या 4-मिथाइल एफेड्रिन कहा जाता है. ये अवैध कैथिनोन और एम्फैटेमिन वर्ग की ड्रग है. इसे पहली बार 1929 में एक्स्टसी के विकल्प के रूप में फ्रांसीसी फार्मास्युटिकल शोधकर्ताओं ने तैयार किया था. लेकिन, दुनिया को इसके बारे में 1999 में तब पता चला, जब एक रसायन विज्ञानी काइनेटिक ने इसे फिर से खोजा.