RSS के दुर्ग से कांग्रेस की हुंकार, नागपुर की रैली से क्या सियासी संदेश देना चाहती है पार्टी
कांग्रेस लोकसभा चुनाव का अभियान नागपुर से गुरुवार को शंखनाद करने जा रही है. कांग्रेस का आज 139वां स्थापना दिवस है. इस दौरान पार्टी नागपुर में होने वाली विशाल रैली को ऐतिहासिक बनाने में जुटी हुई है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दुर्ग नागपुर में कांग्रेस चुनावी अभियान का आगाज कर 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट करने का प्लान बनाया है. इस महारैली को राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे संबोधित करेंगे, जबकि प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी का दौरा रद्द हो गया है.
लोकसभा चुनाव में महज 3 से 4 महीने का ही वक्त बाकी है. कांग्रेस लगातार दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है और हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव में उसे दो राज्यों में अपनी सरकार भी गंवानी पड़ी है. कांग्रेस अपने इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पार्टी के तमाम बड़े नेता साथ छोड़कर जा चुके हैं और सियासी आधार भी खिसक गया है.
कांग्रेस मौजूदा समय में तीन राज्य में अपने दम पर सत्ता में है और तीन राज्यों में सहयोगी दल के तौर पर शामिल है. ऐसे में कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव करो या मरो स्थिति वाला बन गया है. यही वजह है कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने तमाम विपक्षी दलों के साथ मिलकर INDIA गठबंधन का गठन किया है.
आम चुनाव की थीम और मुद्दों के ऐलान
कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता को गंवाने के बाद बीजेपी के वैचारिक संगठन आरएसएस के गढ़ से रैली करके 2024 के चुनावी अभियान की शुरुआत करने की स्ट्रेटेजी बनाई है. इस तरह से कांग्रेस यह बताने की कोशिश में है कि वह वैचारिक स्तर पर बीजेपी से लड़ने के लिए पूरी तैयार है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि स्थापना दिवस पर हम सब मिलकर देश को एक संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी अपने विचारधारा से कभी भी नहीं झुकने वाली है और अपने विचारधारा से आगे बढ़ेगी. यही संदेश हम नागपुर से देना चाहते हैं. साथ ही कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी कहा कि नागपुर एक ऐतिहासिक जगह है. कांग्रेस की जड़ें यहीं से मजबूत हुईं, यहीं से उत्पन्न हुई और यहीं से आगे बढ़ी. कांग्रेस के संगठन में महाराष्ट्र और नागपुर का बहुत बड़ा योगदान है.
कांग्रेस लगा रही है बीजेपी पर ये आरोप
महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का कहना है कि वह संघ की जमीन पर रैली करके बीजेपी को कड़ा जवाब देंगे. ये पहली बार है कि नागपुर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे एक साथ दिखाई देने वाले हैं. रैली में 247 प्रमुख नेता, अधिकांश सांसदों और 600 में से लगभग 300 विधायकों के शामिल होने की संभावना है. पार्टी ने उम्मीद लगाई है कि इस महारैली में कम से कम 10 लाख लोग एकत्रित होंगे.
कांग्रेस नेता चव्हाण का कहना है कि मौजूदा बीजेपी सरकार बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की आत्महत्या सहित तमाम समस्याओं को हल करने और लोगों को राहत देने में विफल रही है. कांग्रेस इस रैली के जरिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कड़ा मैसेज देना चाहती है. यही वजह है कि रैली के लिए नागपुर को चुना गया है. पार्टी ने पहले ही नारा तैयार हैं हम दिया है, जो इरादों को स्पष्ट कर रहा है.
आम चुनाव की थीम और मुद्दों का ऐलान संभव
नागपुर में कांग्रेस की रैली को लेकर कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा, ‘एक संगठन जो नफरत पैदा करता है और फैलाता है, वह नागपुर में स्थित है. आरएसएस नामक संगठन का मुख्यालय नागपुर में है. कांग्रेस पार्टी यह दिखाएगी कि भारत में नफरत खत्म होनी चाहिए और हमें प्रत्येक भारतीय के लिए प्यार और स्नेह फैलाना चाहिए, यही संदेश है. आज कांग्रेस पार्टी का 139वां स्थापना दिवस है. कल कांग्रेस ने घोषणा की कि भारत न्याय यात्रा जो 14 जनवरी से इंफाल से शुरू होने जा रही है वो अगले साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस के पक्ष को बदल देगा. 2024 में दिल्ली में इंडिया गठबंधन की जीत होगी.
कांग्रेस ने नागपुर महारैली के लिए तैयार हैं हम स्लोगन भी दिया है. देश के अलग-अलग प्रांतों से भी पार्टी नेता और कार्यकर्ता नागपुर पहुंच रहे हैं. रैली में आम चुनाव की थीम और मुद्दों के ऐलान किए जाने की संभावना है. महारैली के बाद खरगे महासचिवों और राज्य प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे, जहां लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. इस तरह से कांग्रेस नागपुर से 2024 के चुनावी अभियान का शंखनाद करके एक तीर से कई शिकार करना चाहती है.
महाराष्ट्र पर कांग्रेस का खास फोकस
एक तरफ कांग्रेस को नागपुर में रैली करने के पीछे संघ का गढ़ होना तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र में उसे अपनी वापसी की उम्मीद दिख रही है. लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा का समापन मुंबई में ही करने का प्लान बनाया है, जबकि पहले गुजरात में होना था. इस तरह से महाराष्ट्र पर कांग्रेस का खास फोकस है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में आती हैं. यूपी में 80 और उसके बाद महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं. कांग्रेस ने महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे के शिवसेना के साथ हाथ मिला रखा है. राज्य में मराठा आरक्षण की चुनौती से बीजेपी पहले ही जूझ रही है और अब ओबीसी भी जातिगत जनगणना की डिमांड कर रहे हैं. खासकर बीजेपी सरकार में शामिल मंत्री नेता यह मांग उठा रहे हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं. इन्हीं सारे समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने महाराष्ट्र से चुनावी अभियान का आगाज करके महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश में एक वैचारिक स्तर पर नैरेटिव सेट करने की स्ट्रेटेजी बनाई है.