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भगवान राम पर NCP नेता जितेंद्र आह्वाड का विवादास्पद बयान, BJP ने बताया बेहूदा

NCP नेता जितेंद्र आह्वाड के भगवान श्रीराम पर दिए गए विवादास्पद बयान को भाजपा ने बेहूदा बताया है. जितेंद्र आह्वाड एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता हैं. भाजपा का दावा है कि एनसीपी नेता का यह बयान एक साजिश है. उन्हें राम मंदिर का बनना बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

शिरडी में पार्टी के शिविर में एनसीपी नेता जितेंद्र आह्वाड ने भगवान श्रीराम पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि राम हमारे हैं, बहुजन के हैं. इसी दौरान उन्हें भगवान राम के खाने पर विवादास्पद बयान दे दिया. उनके इस बयान पर भाजपा का सबसे पहले रिएक्शन आया. भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या जितेंद्र आह्वाड त्रेता युग में देखने गए थे.

एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी की निंदा

जितेंद्र आह्वाड के बयान की एनसीपी अजित पवार गुट ने भी निंदा की है. एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि जितेंद्र आह्वाड के पास लगता है कि डॉक्टरेट की डिग्री है, आह्वाड ही इस दुनिया में सबसे बड़े ज्ञानी हैं उनके जितना ज्ञान किसी को नहीं इसलिए इस तरह के बयान सिर्फ वही दे सकते हैं.

उद्धव के बयान पर भी हमला

शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे पर भी सुनील तटकरे ने हमला बोला. दरअसल उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राम मंदिर किसी की जागीर नहीं है, वह पहले भी राम मंदिर गए थे और आगे भी जाएंगे. वहां जाने के लिए उन्हें किसी भी न्योते की जरूरत नहीं. इस पर सुनील तटकरे ने कहा कि उद्धव ठाकरे राम मंदिर को लेकर जो भी बयान दे रहे हैं वह राजनीति से प्रेरित हैं. अससुद्दीन ओवैसी के बयान पर सुनील तटकरे ने कहा उन्होंने सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम को लेकर मलंगगड़ पर जो कहा उसका जवाब देने में वह सक्षम हैं.

BJP कल आह्वाड के खिलाफ दर्ज कराएगी केस

जितेंद्र आह्वाड के विवादास्पद बयान के बाद एनसीपी अजीत पवार गुट के नेता उनके घर पहुंचे और आरती करने की कोशिश की. वहीं भाजपा नेताओं ने जितेंद्र आह्वाड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का भी ऐलान किया है. कल भाजपा नेता सुबह 9.30 बजे उनके खिलाफ घाटकोपर चिराग नगर पोलीस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराएंगे. भाजपा प्रवक्ता आमदार राम कदम ने यह जानकारी दी है.

जितेंद्र आह्वाड ने किया पोस्ट

भाजपा और एनसीपी अजीत पवार गुट के विरोध के बाद जितेंद्र आह्वाड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट लिखी. उन्होंने लिखा कि – ‘अब अजित पवार के चार समर्थकों ने मेरे घर पर आरती करने की कोशिश की. केवल चार लोग थे. जो बच्चे श्री राम का इतिहास नहीं जानते उन्हें श्री राम का इतिहास समझना होगा. श्री राम ने भरत अर्थात अपने भाई को राजगद्दी देने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया, जिस पर उनके माता-पिता के बीच सहमति हुई थी, लेकिन, सम्राट भरत ने श्री राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रखकर शासन किया.’

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