नीतीश कुमार की वापसी बीजेपी-JDU दोनों के लिए फायदे का सौदा, जानें सियासी गणित
बिहार में चल रहे सियासी ड्रामे का अभी तक अंत नहीं हो पाया है. एक तरफ नीतीश कुमार का खेमा है तो दूसरी तरफ लालू यादव और तेजस्वी यादव हैं. कहा जा रहा है कि अगले कुछ घंटों में या फिर रविवार को नीतीश कुमार इस्तीफा देने जैसा बड़ा कदम उठा सकते हैं. हालांकि, अभी तक तो बैठकों का दौर ही चल रहा है. जेडीयू, आरजेडी से लेकर बीजेपी के बड़े नेता बैठकों में व्यस्त नजर आए. माना जा रहा है कि अगर नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी होती है तो यह बीजेपी और जेडीयू दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
यही वजह कि अब तक शांत पड़ी बीजेपी ने अचानक से नीतीश कुमार के प्रति अपना रवैया नरम कर लिया है. कहीं न कहीं बीजेपी को भी यह आभास है कि बिहार में अगर नीतीश कुमार एनडीए के साथ आते हैं तो उसे भी बड़ा सियासी फायदा मिल सकता है. बीजेपी की नजर फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव पर टिकी है. बीजेपी 400 पार का लक्ष्य लेकर चल रही है. बीजेपी यह बात बखूबी जानती है कि 400 का लक्ष्य यूपी-बिहार के बिना संभव नहीं है.
बीजेपी के लिए नीतीश का साथ आना इसलिए भी फायदे की बात मानी जा रही है क्योंकि बिहार में उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. ऐसे में अगर नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी होती है तो बिहार में उसे एक बड़े नेता का साथ मिल जाएगा और आरजेडी समेत बाकी विपक्षी पार्टियों को कड़ी चुनौती भी दे सकती है. बिहार में लालू यादव बड़े जनाधार वाले नेता हैं. तेजस्वी यादव भी उनके ही बनाए नक्शे कदम पर चल रहे हैं. इसलिए बीजेपी के लिए नीतीश को एनडीए में शामिल करने की डील फायदेमंद साबित हो सकती है.
लोकसभा चुनाव में जेडीयू को मिल सकता है फायदा
दूसरी ओर अगर जेडीयू एनडीए का हिस्सा बनती है तो नीतीश कुमार को भी इसका फायदा मिलेगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू, एनडीए का हिस्सा थी. तब एनडीए गठबंधन ने बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अगर पार्टी वाइज देखे तो इसमें बीजेपी के खाते में 17, जेडीयू के खाते में 16, लोक जनशक्ति पार्टी 6 और एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. वर्तमान में इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. नीतीश कुमार कई बार सीट बंटवारे को जल्दी से जल्दी करने की बात कह भी चुके हैं लेकिन उनकी बातों को तवज्जों नहीं दी गई. ऐसे में कहीं न कहीं नीतीश कुमार इस बात का भी अंदाजा है कि बिहार की नंबर वन पार्टी आरजेडी ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है.
इसका मतलब साफ है कि एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है. इसमें जातीय आधारित जनगणना उनके लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है. एनडीए में आ जाते हैं अयोध्या में राम मंदिर के जरिए भी वो हिंदुत्व वोटरों को अपनी तरफ मोड़ सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अगर एनडीए के साथ जाते हैं तो लोकसभा के नजरिए से उन्हें नुकसान न के बराबर होने की संभावना है.
नीतीश के लिए खुले रहेंगे आगे के रास्ते
नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हो जाते हैं तो बिहार विधानसभा चुनाव तक उनकी सरकार को कोई खतरा नजर नहीं आता है. इस बीच अगर लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को जीत मिल जाती है तो भी नीतीश के लिए वो प्लस पॉइंट ही रहेगा. अगर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जेडीयू से आगे निकलती है और मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोकती है तो नीतीश कुमार केंद्रीय राजनीति में किसी बड़े ओहदे जाने की इच्छा जता सकते हैं. अगर चुनाव में जेडीयू बीस पड़ती है तो फिर कोई बात ही नहीं.