यूं ही नहीं छोटकी गंगा के नाम से जानी जाती थी यह नदी, कीमती मिनरल वॉटर इसके सामने है फेल; फायदे चौंकानेवाले

झूमरा पहाड़ से कलकल बहती बगलता नदी का पानी लोगों को निरोग बनाता है। इसके पानी का उपयोग पीने से लेकर स्नान करने का काम आसपास के ग्रामीण वर्षो से करते आ रहे है। बगलता नदी झुमरा पहाड़ से निकलकर चुटूआ नदी में मिलती है।

छोटकी गंगा के नाम से जानी जाती थी नदी

घने जंगलों व पहाड़ों से होकर गुजरने वाली इस नदी तट पर पांच दशक पूर्व ऋषि- मुनियों का डेरा हुआ करता था। महर्षि देव नारायण, कृपा चरण, महर्षि शंभु शरण का आश्रम हुआ करता था। पहले गंगा की तरह पवित्र मानी जाती थी यह नदी। यही कारण है कि पहले छोटकी गंगा के नाम से भी यह नदी जानी जाती थी।

नदी का मीठा पानी चाव से पीते हैं लोग

मांडू प्रखंड अंतर्गत लईयो उत्तरी पंचायत के गयछन्दवा व सरैयापानी गांव इसी नदी के पास बसा है। ग्रामीणों में गोविंद मांझी, सोहन मांझी, रिता देवी, पार्वती देवी, रूकमणी देवी, सरिता देवी ने बताया कि झुमरा पहाड़ से निकलकर यह नदी 15 किमी सफर तय कर चुटूआ नदी में आकर मिल जाती है। इस नदी का पानी मीठा है। लोग बड़े चाव से इसका पानी पीते है।

नदी के पानी से चर्म रोग से मिलती मुक्ति

कुछ दिनों तक इस नदी के पानी से स्नान करने के बाद चर्म रोग से मुक्ति मिल जाता है। बुजुर्गो की बात मानें तो इसके उदगम स्थल के आसपास काफी मात्रा में जड़ी-बूटी मौजूद है, जिसके कारण इसका पानी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है। यह पानी इतना बेहतर है कि बोतलबंद पानी इसके आगे शून्य है।

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