अब रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने पर भी बेघर नहीं होंगे घर खरीदने वाले

घर खरीदने वालों के लिए एक अच्‍छी खबर है. अब किसी रियल एस्‍टेट परियोजना (Real Estate Projects) में घर लेने वाले लोगों को उस प्रोजेक्‍ट को बनाने वाली कंपनी के दिवालिया होने पर बेघर नहीं होना पड़ेगा.

भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (Insolvency And Bankruptcy Board Of India-IBBI) ने परिसमापन नियमों में संशोधन कर दिया है. इसके बाद अब रियल एस्टेट परियोजना में जमीन या मकान खरीदने वाले को संपत्ति पर कब्जा दे दिया जाता है तो उस संपत्ति को परिसमापन प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा. इसका मतलब है कि उस संपत्ति से कर्जदार कपंनी का कोई लेना-देना नहीं होगा.

आईबीबीआई द्वारा 12 फरवरी को जारी अधिसूचना में कहा गया है, “धारा 36 की उप-धारा (4) के उपबंध (ई) के अनुसार कर्ज लेने वाली कंपनी ने अगर रियल एस्टेट परियोजना में ग्राहक को संपत्ति पर कब्जा दे दिया है तो उस संपत्ति को कर्जदार के परिसमापन में शामिल नहीं किया जाएगा.”

मकान खरीदारों के लिए बड़ी राहत
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक कैपिटल ने कहा कि नए संशोधन से मकान खरीदारों को राहत मिलेगी. एनारॉक कैपिटल में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च ऐंड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी) आशीष अग्रवाल ने कहा कि नए नियमों से ऋणदाताओं की समिति में घर खरीदने वालों को अपनी बात रखने का अधिकार मिलेगा. समय के साथ दिवालिया प्रक्रिया में मुकदमे भी कम होंगे.

उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट नियमन प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority) के पूर्व चेयरमैन राजीव कुमार ने भी कहा कि नियामक का यह कदम मकान खरीदारों के हित में है. उन्‍होंने कहा कि कई ऐसे मामले हैं जहां संपत्ति इनसॉल्वेंसी में फंस गई और प्रॉपर्टी खरीदने वालों को कब्जा नहीं मिला. आईबीबीआई को ऐसे मामलों को देखना चाहिए.

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