मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद ही अग्नि देव को अर्पित करें तिल, वरना पूरी नहीं होगी कामना

मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद ही अग्नि देव को अर्पित करें तिल, वरना पूरी नहीं होगी कामना

मकर संक्रांति के दिन अग्नि देव को तिल अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, अग्नि देव को तिल अर्पित करने से पापों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है. लेकिन लोगों को अग्नि देव को तिल अर्पित करते समय ये ध्यान रखना होगा कि बिना स्नान किए अग्नि देव को तिल अर्पित करना आपको भारी पड़ सकता है. बिना नहाए तिल अर्पित करने से लोग पाप के भागीदार बनते हैं और जो भी पुण्य कमाए होते हैं वो भी नष्ट हो जाते हैं.

ऐसी भी मान्यता है कि तिल के जल से स्नान करने से और तिल का अग्नि देव को अर्पित करने से लोगों को पापों से मुक्ति मिलती है और कष्टों से छुटकारा मिलता है. श्राद्ध व तर्पण में भी तिल का प्रयोग काफी समय से किया जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत होती है तो कड़वी बातों को भुलाकर नई शुरुआत की जाती है.

अग्नि देव को तिल अर्पित करने का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु के शरीर से तिल उत्पन्न हुए थे, ऐसे में इसका उपयोग धार्मिक क्रिया-कलापों में हमेशा किया जाता है. यही कारण है कि मकर संक्रांति पर अग्नि में तिल विशेष रूप से डाला जाता है, ताकि अग्नि देव को खुश किया जा सके. जबकि आयुर्वेदिक दृष्टि की बात करें तो इस दिन अग्नि में तिल डालने से वातावरण में मौजूद बहुत से संक्रमण समाप्त हो जाते हैं और परिक्रमा करने से शरीर में गति आती है. तिल का प्रयोग घर में होनी वाली पूजा औऱ हवन आदि में किया जाता है, ताकि सभी की सेहत अच्छी बनी रहे.

मकर संक्रांति के पर्व पर अग्निदेव को तिल और गुड़ आदि अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और अग्निदेव सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं. फसल की कटाई की खुशी में सूर्य देव और अग्निदेव का आभार प्रकट करने के लिए भी इस दिन अग्निदेव को तिल अर्पित किए जाते हैं.

 

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