OTT प्लेटफॉर्म के कंटेंट के लिए हो सर्टिफिकेशन की व्यवस्था, सुप्रीम कोर्ट में यचिका दाखिल
देश में OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. इसमें भारत में OTT और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक रेगुलेटरी बोर्ड बनाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा ने ये याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया है.
इसमें कहा गया है कि सिनेमाघरों में दिखाई जाने वाली फिल्मों में जिस तरह सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया की जाती है. वो OTT के कंटेंट में रिलीज से पहले नहीं की जाती है. इसके कारण OTT पर अक्सर बिना किसी चेतावनी के ही अश्लील दृश्य, हिंसा, नशीले पदार्थों के सेवन और अन्य हानिकारक सामग्री में वृद्धि हुई है. याचिका में ये भी कहा गया कि इन प्लेटफार्म में किसी भी तरह की जांच-परख नहीं की जाती है.
OTT कंटेंट पर लगे लगाम
याचिका में ये भी कहा गया कि सरकार ने IT कानून 2021 को सरकार ने बनाया है. लेकिन इस नियम का कोई असर OTT कंटेंट पर नहीं पड़ा है. ये प्लेटफॉर्म नियमों की खामियों का फ़ायदा उठाते रहते हैं. इसमें बिना किसी जांच के विवादित सामग्री डालते रहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने याचिका में लिखा कि इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है. इसके जरिए जुआ और ड्रग्स जैसी चीजों को भी बढ़ावा मिलता है.
इस वेबसीरीज को बनाया आधार
याचिका में कहा गया है कि नेटफ्लिक्स पर आई आईसी 814 की त्रासदी को एक हास्यास्पद कहानी में बदल कर उस आतंकी एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है. इसका उद्देश्य आतंकवाद की क्रूरता पर परदा डालना और हिंदू समुदाय को बदनाम करना है. इसमें कहा गया कि एक वैधानिक फिल्म प्रमाणन संस्था केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) पहले से मौजूद है, जिसे सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
ओटीटी के लिए कंटेंट के लिए बनें कानून
याचिकाकर्ता ने 2020 में भी इस मामले पर याचिका दाखिल की थी. हालांकि वो याचिका अब तक लंबित है. उस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को सेंट्रल बोर्ड फॉर रेग्युलेशन एंड मॉनिटरिंग ऑफ ऑनलाइन वीडियो कंटेंट्स नाम के एक ऑर्गनाइजेशन का गठन का किया जाए. इसकी अध्यक्षता सचिव स्तर के किसी वरिष्ठ IAS अधिकारी करें. साथ ही इसमें कानूनविद और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी उचित प्रतिनिधित्व रखा जाए.
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