पापा ने खूब लूटी शोहरत, बेटे ने 4 फिल्मों में किया काम, लेकिन नहीं कमा पाया नाम, साबित हुआ सुपरस्टार का ‘महाफ्लॉप’ बेटा

मैं अपने लफ़्ज़ों से तस्वीर बनाता हूं, अतीत तो हर कोई बताता है लेकिन मैं कभी-कभी भविष्य भी बताता हूं…’ बॉलीवुड के एक सदाबहार सुपरस्टार ने अपनी फिल्म में जब यह डायलॉग बोला, तब शायद उन्हें पता नहीं होगा कि वह अपने बेटे का ही भविष्य नहीं जान सकेंगे और अगर जान सकते तो शायद वह कभी उसे बॉलीवुड में आने ही नहीं देते. अमिताभ बच्चन से लेकर राजेश खन्ना, दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर ने बड़े पर्दे पर अपनी एक अलग पहचान बनाई. उसके बाद ज्यादातर सुपरस्टार्स की अगली पीढ़ी भी फिल्मों में आई. हालांकि, सुपरस्टार के बच्चे अपने पिता के अभिनय के सामने फीके ही नजर आए. अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन हो या मिथुन चक्रवर्ती का बेटा मिमोह चक्रवर्ती कोई भी बॉलीवुड में अपना मुकाम नहीं बना सका.

आज हम एक ऐसे सुपरस्टार के बेटे के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्होंने एक-दो नहीं बल्कि 70 से 80 दशक तक अपने स्टाइल और अभिनय से लोगों के मन में एक अलग ही जगह बनाई. उन्होंने अभिनेता से शुरू हुए सफर के बाद निर्माता और निर्देशक बनने तक हर किरदार को बखूबी से निभाया और सुपरहिट साबित हुए. इस सुपरस्टार ने अपने बेटे को भी सुपरस्टार बनाने की कोशिश की, लेकिन उनकी सारी मेहनत पानी-पानी हो गई. सुपरस्टार तो दूर उनका बेटा सुपरफ्लॉप रहा और अब इंडस्ट्री से ही गायब हो गया है चलिए हम आपको बताते हैं यह सुपरस्टार कौन थे और इनका सुपरफ्लॉप बेटा अब कहां है.

पिता ने स्थापित किया था स्टाइल

बॉलीवुड में कुछ ही अभिनेता ऐसे रहे हैं, जिनका अपना एक अलग ही अंदाज रहा है और आज भी लोग उनके उसे स्टाइल को कॉपी करने की कोशिश करते हैं. उनमें से एक सबसे बड़ा नाम है देव आनंद साहब. देव आनंद ने बॉलीवुड में न सिर्फ अपना एक स्टाइल स्थापित किया बल्कि एक के बाद एक लगातार सुपर सुपरहिट ब्लॉकबस्टर फिल्में भी दीं. अभिनय के बाद उन्होंने जब निर्माता और निर्देशक के तौर पर अपना करियर आगे बढ़ाया और वहां भी उनके हाथ सफलता ही लगी, लेकिन जैसा लोगों को उनके बेटे से उम्मीद थी वैसा नहीं हो सका.

बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर ली थी बॉलीवुड में एंट्री

30 जून 1956 के दिन देव आनंद और उनकी पत्नी कल्पना कार्तिक के घर बेटे का जन्म हुआ. बेटे का नाम रखा गया सुनील आनंद. जैसे-जैसे बेटा बड़ा हुआ उसने भी बॉलीवुड में आने की योजना बना ली. देव आनंद भी इससे खुश थे कि उनके बेटे ने उनके ही करियर को अपना बना लिया, हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि जिस बेटे को वह स्टार बनाना चाहते हैं, वह अंधेरे की गहराइयों में खो जाएगा. सुनील आनंद ने स्कूलिंग के बाद वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद बॉलीवुड में एंट्री की.

पहली फिल्म के लिए पापा का फुल सपोर्ट

देव आनंद ने भी अपने बेटे सुनील का बखूबी साथ दिया और साल 1984 में फिल्म ‘आनंद ही आनंद’ बनाई. इस फिल्म में देव आनंद ने निर्देशक और निर्माता का किरदार निभाने के साथ ही अभिनय भी किया. देव साहब को ये उम्मीद थी कि उनके होने से फिल्म हिट हो ही जाएगी, लेकिन यह फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई और देव आनंद का ये पैंतरा फेल हो गया.

दूसरी फिल्म भी रही फ्लॉप

इसके बाद सुनील आनंद ने समीर मलकान की फिल्म ‘कार थीफ’ में काम किया. दर्शकों को उम्मीद थी की ‘ज्वेल थीफ’ की तरह ‘कार थीफ’ में सुनील आनंद भी सफलता हासिल कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ यह फिल्म भी फ्लॉप साबित हुई.

 

कई बार की हीरो बनने की कोशिश

बेटे के प्यार में देव आनंद यही तक नहीं रुके. उन्होंने एक बार फिर अपने भाई विजय आनंद के साथ मिलकर फिल्म ‘मैं तेरे लिए’ बनाई. इस फिल्म में सुनील आनंद के साथ राजेंद्र कुमार आशा पारेख और मीनाक्षी शेषाद्रि भी थे. बड़ी स्टार कास्ट होने के बावजूद यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई. इस फिल्म के फ्लॉप होने के बाद सुनील का करियर लगभग खत्म ही हो गया था, हालांकि, 13 साल बाद उन्होंने फिल्म ‘मास्टर’ से एक बार फिर पर्दे पर वापसी की और उन्होंने इस फिल्म को प्रोड्यूस भी किया. लेकिन यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर सकी.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *