Property rights: दादा की पुश्तैनी जमीन, मकान और चल संपति में पोते का कितना हिस्सा, ये है कानूनी प्रावधान
भारत में पूर्वजों की संपत्ति (Property) का बंटवारा एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में देश के लाखों लोग सालों साल मुकदमेबाजी का सामना करते रहते हैं और अपना कीमती समय बर्बाद करते हैं। इस हिसाब से जरूरी है कि आपको कुछ बातों की जानकारी होनी चाहिए।
अगर बात दादा की संपत्ति (grandfather’s property) पर पोते के हक की करें तो पोते या पोती का दादा को विरासत में मिली संपत्ति पर जन्म के बाद से ही पूरा अधिकार होता है। इसमें पोते/पोती के पिता या दादा की मृत्यु से कोई संबंध नहीं है। कोई पोता-पोती अपने जन्म के साथ ही अपने दादा की संपत्ति में हिस्सेदार हो जाता है।
दादा की पैतृक संपत्ति (grandfather’s ancestral property)
ऐसी संपत्ति जो किसी पिता द्वारा अपने पिता, दादा या परदादा आदि से विरासत में मिली है, पैतृक संपत्ति कही जाती है। पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार जन्म से ही हो जाता है, जो विरासत के अन्य तरीके से अलग होता है। संपत्ति के अधिकार के अन्य तरीके में वारिस का अधिकार प्रॉपर्टी मालिक की मृत्यु होने के बाद खुलता है।
पैतृक संपत्ति में अधिकार (rights in ancestral property)
पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार प्रति भूभाग के आधार पर निर्धारित किया जाता है, प्रति व्यक्ति नहीं। इसलिए हर पीढ़ी का हिस्सा पहले निर्धारित किया जाता है और बाद में अगली पीढ़ी के लिए उस हिस्से का उप-विभाजन किया जाता है जो उनके पूर्ववर्तियों द्वारा विरासत में मिली है।
नाती-पोते का हक़ (rights of grandchildren)
पैतृक संपत्ति में नाती-पोते की समान हिस्सेदारी होती है। अगर कोई पोता दादा के नाती को संपत्ति में हिस्सा देने से मना करता है तो नाती अंतरिम राहत के लिए याचिका के साथ घोषणा और विभाजन के लिए एक दीवानी मामला दर्ज कर सकता है। कानून में दिए गए अधिकारों से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता।
दादा की खुद कमाई गई संपत्ति पर (On grandfather’s self-earned property)
एक पोते का अपने दादाजी की खुद कमाई गई संपत्ति पर जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। यदि वह संपत्ति पोते के पिता को परिवार के विभाजन के समय कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में आवंटित कर दी गयी हो.
तब उस पर पोते का अधिकार बनेगा। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत हमवारिस के तौर पर उसे इस पर दावा करने का हक नहीं है। दादा इस संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को दे सकता है।
वसीयत नहीं है तब? (Then there is no will?)
यदि दादा बिना किसी वसीयत के मर जाते हैं, तो केवल उनकी पत्नी, पुत्र और बेटी का इस संपत्ति पर अधिकार होगा। मृतक की पत्नी, पुत्र और पुत्रियों द्वारा विरासत में मिली संपत्तियों को उनकी निजी संपत्ति माना जाएगा और उस संपत्ति में किसी अन्य का दावा नहीं होगा