Salary Calculation Formula: कहीं आपकी सैलरी भी कम तो नहीं? जानिए कितने साल में हो जानी चाहिए दोगुनी

Salary Calculation Formula: कहीं आपकी सैलरी भी कम तो नहीं? जानिए कितने साल में हो जानी चाहिए दोगुनी

सैलरी (Salary) बहुत कम है, सैलरी सही से नहीं बढ़ रही है…’, प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में काम करने वाले कुछ लोगों की अक्सर ये शिकायतें होती हैं. क्योंकि अधिकतर कर्मचारी अपने साथ काम करने वालों से अपनी सैलरी की तुलना करते हैं. उसके बाद ऐसे मामलों में कर्मचारी अपने मैनेजर या फिर बॉस पर सैलरी नहीं बढ़ने का ठीकरा फोड़ते हैं. कुछ मामलों में तो पक्षपात का भी आरोप लगाया जाता है.

दरअसल हर कोई सैलरी में तरक्की चाहता है, और अक्सर लोग दूसरों से अपनी सैलरी की तुलना करते हैं, जो कि बिल्कुल गलत पैमाना है. अगर आपकी भी इस तरह की शिकायतें हैं तो फिर अपनी सोच बदलने की जरूरत है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि किस परिस्थिति में कर्मचारी को अपनी सैलरी के बारे में सोचना चाहिए.

कैसे करें वेतन का आंकलन?

दूसरों से तुलना की बजाय खुद की सैलरी ग्रोथ (Salary Growth) को आंकना सबसे जरूरी है. अगर आप खुद की अपनी सैलरी का आंकलन करेंगे तो फिर इससे जुड़ीं आपकी शिकायतें दूर हो जाएंगी. आइए जानते हैं कि कैसे आप अपनी सैलरी या वेतन का आंकलन कर सकते हैं. आपको पता है कि महंगाई (Inflation) दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. जिससे खाने-पीने की चीजों से लेकर सभी तरह के खर्चे बढ़ रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का मानना है कि कम से कम हर साल 7% की दर से महंगाई बढ़ रही है. इसका सीधा मतलब है कि अगर किसी के खर्चे इस साल हर महीने एक लाख रुपये है तो अगले साल बढ़कर वो खर्चे 107 लाख रुपये हो जाएगा.

ऐसे में महंगाई को मात देने के लिए सैलरी में 7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी जरूरी है. वैसे भी हर साल दुनियाभर में 10-12 फीसदी की सैलरी ग्रोथ होती है. यानी एक लाख कमाने वाले की सैलरी 10 से 12 हजार रुपये बढ़ती है. इस बढ़ोतरी को बेहतर माना जाता है, क्योंकि महंगाई ग्रोथ के मुकाबले सैलरी में ग्रोथ में ज्यादा है.

लेकिन अगर सैलरी में 5 फीसदी की बढ़ोतरी होती है, तो फिर महंगाई के मुकाबले के लिए जरूर खर्चों को कम करना होगा. अब एक सवाल उठता है कि कितनी सैलरी होनी चाहिए, और ग्रोथ का पैमाना क्या है? महंगाई और इंडस्ट्रीज ग्रोथ के अनुसार प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी की सैलरी 7 से 8 साल में दोगुनी हो जानी चाहिए.

एक उदाहरण से समझते हैं….

उदाहरण के लिए एक ही संस्थान में दो दोस्त राकेश और पंकज काम करते हैं. दोनों ने एक साथ ही इस कंपनी को 10 साल पहले ज्वाइन किया था. दोनों की 7 साल पहले सैलरी एक सामान 25000 रुपये महीने थी. लेकिन आज राकेश की सैलरी 50 हजार से ऊपर है. जबकि पंकज की सैलरी 40 हजार के आसपास है.

ऐसे में करियर ग्रोथ के हिसाब से देखें तो पिछले सात साल में राकेश की सैलरी दोगुनी हो गई है, यानी राकेश की सैलरी ग्रोथ ठीक है, और उन्हें करियर के बारे में सोचने की ज्यादा जरूरत नहीं है. लेकिन पंकज की सैलरी सही से नहीं बढ़ी है. अब ऐसी स्थिति में पंकज को क्या करना चाहिए? अगर पंकज अपने करियर को लेकर चिंतित है तो उनके सामने दो विकल्प हैं. पहला- अपने काम को लेकर मैनेजर से बात करें. इसके अलावा नई नौकरी की तलाश भी एक विकल्प है.

सैलरी नहीं बढ़ने पर क्या विकल्प?
ये केवल राकेश-पंकज की कहानी है. हर कोई इसी तरह से अपने करियर ग्रोथ को देख सकते हैं. अभी जो सैलरी मिल रही है, अगर वो 7 साल पहले की तुलना में दोगुनी है तो उसे बेहतर मान सकते हैं. लेकिन अगर आप लंबे समय से किसी सेक्टर में काम कर रहे हैं और आपकी सैलरी 7 से 8 साल में दोगुनी नहीं हो रही है, तो फिर आपको सोचने की जरूरत है. सैलरी में कम ग्रोथ को लेकर आप संस्थान पर दोष नहीं मढ़ सकते हैं.

गौरतलब है कि सैलरी ग्रोथ को कर्मचारी के करियर से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए अगर आपकी सैलरी 7-8 में दोगुनी नहीं हो रही है, फिर आपको अपने काम पर ध्यान देना चाहिए. साथ सैलरी को लेकर सही समय पर अपने मैनेजर से बात करें. इसके अलावा भी करियर ग्रोथ में रुकावट की एक बड़ी वजह यह भी होती है कि वर्षों तक एक ही कंपनी में बने रहना. जबकि करियर में ग्रोथ के लिए जॉब और पोर्टफोलियो दोनों में समय के साथ बदलाव जरूरी है. अगर आप इन चीजों पर गंभीरता से ध्यान देंगे, तो आप एक आदर्श सैलरी पा सकते हैं.

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