Sandeep Maheshwari ने बताया माता पिता को यह चीजें बिल्कुल नहीं करनी चाहिए, वरना बच्चा नहीं बनेगा काबिल
कौन नहीं चाहता कि उसका बच्चा दुनिया की सारी खुशी हासिल करे. मां-बाप अपने बच्चे के लिए हर छोटी से छोटी और हर बड़ी से बड़ी चीज मुहैया कराने की ख्वाहिश रखते हैं. बच्चे के मुंह से अगर कुछ निकल जाए तो उसके लिए मां-बाप (Parents) एड़ी चोटी का जोर लगाकर अपनी ख्वाहिशों को मार कर बच्चों की जिद पूरी करते हैं. पेरेंट्स उनकी डिमांड पूरी करते हैं, लेकिन मोटिवेशनल स्पीकर (Motivational speaker) संदीप माहेश्वरी (Sandeep Maheshwari) का कहना है कि बच्चों की परवरिश को लेकर यह पेरेंट्स की सबसे बड़ी गलती है कि वह उन्हें ना नहीं कहते हैं.
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने पेरेंटिंग को लेकर कई टिप्स शेयर किए. उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है मां-बाप अपने बच्चों को वह सब देना चाहते हैं जो बच्चा उनसे डिमांड करता है. इंटरव्यू के दौरान आए सभी लोगों का मानना था कि पेरेंट्स को बच्चों को उनकी पसंद को ना नहीं कहना चाहिए और यही सही है. लेकिन संदीप माहेश्वरी ने कहा कि मां-बाप का ऐसा करना एकदम गलत है, मां-बाप को अपने बच्चों को उनके हर सपने को पूरा करने के लिए मोटिवेट नहीं करना चाहिए.
इंटरव्यू के दौरान संदीप माहेश्वरी ने बताया कि एक लड़की थी, जो कोचिंग लेकर यूपीएससी की परीक्षा दे रही थी. लेकिन कई बार ट्राई करने के बाद भी वह इसे पास नहीं कर पाई. तब संदीप जी ने कहा कि तुम यह मत करो, तुम नहीं कर पाओगी. इस पर लड़की के पिता ने कहा उसे डिमोटिवेट मत करो. क्या हुआ पढ़ाई पर 20-30 लाख ही खर्च होंगे ना. कल को वह यह तो नहीं कहेगी कि हमने उसका सपना पूरा करने का मौका नहीं दिया. इस पर संदीप माहेश्वरी ने कहा कि आजकल मां-बाप बिजी हो गए है और वह अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते, इसलिए उसकी पूर्ति पैसों से करने की सोचते हैं जो कि गलत है. संदीप ने बताया कि वह लड़की छह बार परीक्षा देने के बाद भी यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाई और डिप्रेशन में चली गई. उनका मानना है कि मां-बाप ना तो बच्चों को खुद सही राह दिखा पा रहे हैं और कोई और बोलता है तो उसे भी चुप करवा देते हैं.
संदीप माहेश्वरी ने भारतीय पेरेंट्स को सलाह देते हुए बताए कि आजकल मां बाप बच्चों की लाइफ में कम इन्वॉल्व होते हैं और यही पर वो सबसे बड़ी गतली करते हैं. अपने बच्चों को सही फैसला लेने के लिए उनका मार्गदर्शन करना जरूरी होता है और कई बार बच्चों को ना करना भी जरूरी है.