Sikh in America: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सरदार है कितना असरदार?
अमेरिका में आगामी 5 नंवबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. देश में चुनावी पारा चढ़ा हुआ है, यहां राष्ट्रपति पद के लिए अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है.
डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी दोनों के उम्मीदवार देश के हर छोटे से छोटे समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका में भारतीय मूल के लोग भी अच्छी तादाद में रहते हैं. हाल ही में सिख अमेरिकन्स फॉर ट्रंप के प्रमुख ने ट्रंप की जीत का दावा किया है.
अमेरिका में सिखों की जनसंख्या करीब 3 से 5 लाख है, लेकिन ये देश के तीन बड़े शहर कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं.
मैरीलैंड में अगले हफ्ते होने जा रहे मिलवॉकी में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन (RNC) के मद्देनजर सिख समुदाय के नेता जस्सी ने कहा, “मुझे लगता है कि हमारा समुदाय ट्रंप के समर्थन करेगा. जसदीप सिंह जस्सी ने आगे कहा कि सभी राष्ट्रपति जो बाइडेन की समस्याओं के बारे में जानते हैं, वे मानसिक और शारिरिक रूप से कमजोर हो गए हैं.”
वहीं ट्रंप के मंच से भी सिखों को लुभाने की कवायद शुरू हो गई है. भारतीय-अमेरिकी सिख रिपब्लिकन पार्टी की नेता हरमीत कौर ढिल्लों ने सोमवार को मिल्वौकी में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के दौरान राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में अरदास पढ़ी, जिसको सोशल मीडिया पर खूब वायरल किया जा रहा है.
This woman, who gave the Sikh Prayer at the RNC, is Harmeet Dhillon (@pnjaban), is one of the most important conservative activists and lawyers in America:
-She filed lawsuits to stop Stay-at-home order during COVID
-Defended James Damore when google fired him
-Sued Antifa on pic.twitter.com/pYuICtyslC
— Wokal Distance (@wokal_distance) July 16, 2024
ट्रंप को मिलेगा सिख समर्थन का फायदा?
2020 में हुए चुनाव में भारतीय समुदाय ने ट्रंप को नाकार दिया था, लेकिन उस वक्त भी कई सिख संगठन ट्रंप के साथ आए थे. 2020 में बाइडेन के चुनाव प्रचार को अमेरिकी सिखों ने उनकी भावनाओं के विरुद्ध बताया था. उस वक्त सिख-अमेरिकी वकील और लॉयर्स फॉर ट्रम्प के सह-अध्यक्ष हरमीत ढिल्लों ने कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता और आजादी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पहल की वजह से ही आज इतने सारे सिख युवा अपनी पगड़ी और दाढ़ी के साथ अमेरिकी सेना में सेवा कर रहे हैं.
अमेरिका का सिख समुदाय ट्रंप के कार्यकाल में लाई गई की नीतियों से खुश है और 2024 के चुनाव में भी वापस ट्रंप को फिर से अमेरिका का नेतृत्व करता देखना चाहता है.
सिखों का अमेरिका में कितना दबदबा?
सिखों के डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन करने की वजह उनकी वो नीतियां भी हैं, जिन्होंने छोटे कारोबार को बढ़ावा दिया. यहां का सिख समुदाय कारोबार से जुड़ा है. अमेरिका में सिख धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान के लिए जाना जाता है.
इसके अलावा अमेरिका के स्कूलों में सिख संस्कृति को पढ़ाने की इजाजत देना भी इनमें से एक था. अमेरिका में सिखों का आगमन 19वीं सदी के आखिर और 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ था. ज्यादातर यहां सिख पंजाब से आए और यहां आकर खेती, रेलवे और मिलो में काम करना शुरू किया.
अगर राजनीति की बात करें तो इस समय अमेरिकी कांग्रेस में एक भी सिख सांसद नहीं है. लेकिन अमेरिकी सिख समुदाय को अमेरिकी कांग्रेस में प्रतिनिधित्व देने के लिए एक खास ग्रुप ‘अमेरिकन सिख कांग्रेशनल कॉकस’ (American Sikh Congressional Caucus) बनाया गया है.
यह समूह सिख समुदाय के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने, उनकी आवाज उठाने और उनके हितों की रक्षा के लिए काम करता है. इस कॉकस की बुनियाद 2013 में रखी गई थी. इसका मकसद सिख समुदाय के मुद्दों, जैसे कि भेदभाव, हिंसा और बुलिंग से निपटना है.