यहां आज भी गुफाओं में रहते हैं लोग, लेकिन नहीं हैं आदिमानव, घरों को देख भूल जाएंगे लग्जरी विला!
इटली का सासी डी मटेरा गांव. यहां लोग गुफा जैसे घरों में रहते हैं. आप इन्हें आदिमानव नहीं कह सकते. घर ऐसे हैं कि लग्जरी विला को भूल जाएंगे; कहा जाता है कि इटली में सबसे पहली मानव बस्ती यहीं बसी थी. करीब 7 हजार साल पहले. यहां पर घर चूने की चट्टानों को खोदकर बनाए गए हैं. कई जगहों पर घरों के ऊपर ही सड़क बनी हुई है.
दुनिया में लाखों गांव हैं, जिनमें करोंड़ों लोग रहते हैं. कई तो बेहद रहस्यमयी हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं. इटली का सासी डी मटेरा गांव (Sassi di Matera). यहां लोग गुफा जैसे घरों में रहते हैं. आप इन्हें आदिमानव नहीं कह सकते. घर ऐसे हैं कि देखकर लग्जरी विला को भूल जाएंगे. कहा जाता है कि इटली में सबसे पहली मानव बस्ती यहीं बसी थी.
गुफाओं के बारे में आपने बहुत सुना होगा, कुछ देखे भी होंगे. लेकिन दक्षिणी इटली के सासी डी मटेरा गांव (Sassi di Matera) को देखेंगे तो सब भूल जाएंगे. एक ऐसा गांव जो गुफानुमा घरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इस इलाके की खासियत यह है कि यहां लोग आज भी उन घरों में रह रहे हैं, जहां नौ हजार साल पहले उनके पुरखे रहते थे.
आप जानकर हैरान होंगे कि सासी डी मटेरा गांव को चट्टानों में उकेरा गया है. कहते हैं कि तकरीबन 9 हजार साल पहले यहां कुछ प्रााकृतिक गुफाओं में लोग रहा करते थे. लेकिन आबादी बढ़ने के साथ-साथ लोग चूने की चट्टानों को खोदकर घर बनाते गए. कुछ शुरुआती घर पत्थर की झोपड़ियों की तरह दिखते हैं, लेकिन घर के पीछे साधारण गुफाएं हैं.
amusingplanet.com की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे शहर का विकास हुआ, यह जगह संकरी गलियों और सीढ़ियों में बदलती चली गई. क्योंकि निवासियों को जहां भी चट्टान दिखती थी, वहां खुदाई करने लगते. अपना घर बनाने लगते.
चट्टानों में गुफाएं ऐसे खोदी गई हैं कि कई जगहों पर घरों के ऊपर ही सड़क बनी हुई नजर आती है. पहले यहां एक एक बड़ी नदी हुआ करती थी, लेकिन इसी वजह है कि अब नदी एक छोटी सी धारा में तब्दील हो गई है.
20वीं सदी के अंत तक, मटेरा क्षेत्र इटली के सबसे गरीब इलाकों में से एक था. वहां न तो बिजली थी, और न ही सीवेज सिस्टम. कोई दुकानें भी नहीं थींं. यहां के लोग सिर्फ रोटी, तेल, कुचले हुए टमाटर और मिर्च मिलाकर खाते थे. बड़े परिवार अपने पशुओं के साथ रहते थे. गंदगी की वजह से यहां अक्सर मलेरिया जैसी बीमारियां फैला करती थीं. सरकार ने 1950 में यहां से लोगों को जबरन निकालकर आधुनिक बस्तियों में भेजा, ताकि उनका जीवन स्तर सुधर सके.
मटेरा का भाग्य 1993 के बाद बदल गया जब यूनेस्को ने मटेरा के सासी और गुफा चर्चों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया. इसके बाद इन्हें देखने के लिए पर्यटकों की बाढ़ आ गई. तब कई ढहती गुफाओं का जीर्णोद्धार किया गया. उन्हें आरामदायक घरों, स्टाइलिश होटलों और रेस्तरां में बदल दिया गया. आज यहां कई घर लग्जरी विला से भी शानदार हैं.